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गिलगित-बाल्टिस्तान पर जबरन कब्जे की फिराक में पाक

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लखनऊः गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में 15 नवंबर को पाकिस्तान विधानसभा चुनाव करवाने जा रहा है। पाक के इस फैसले पर देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कड़ा संदेश दिया है और इस इलाके में हस्तक्षेप न करने की बात कही है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान के चुनाव कराने के फैसले के बाद दोनों देशों के रिश्तों में और भी कड़वाहट बढ़नी तय है। वैसे तो गिलगित और बाल्टिस्तान भारत के हिस्से रहे हैं। पाकिस्तान ने कूटरचित योजना के तहत 1947 में इन पर अपना कब्जा जमा लिया था। भारत लगातार पीओके को अपना अभिन्न अंग बताता रहा है और पाकिस्तान के हुक्मरानों को यही बात अखरती रही है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले दिनों गिलगित में एक रैली में कहा था कि गिलगित-बाल्टिस्तान अंतरिम प्रांत का दर्जा जल्द ही पा जाएंगे। इमरान ने कहा था कि किसी भी देश की संप्रभुता और एकजुटता को बनाए रखने के लिए आर्मी का मजबूत होना बहुत जरूरी है। इसके तुरंत बाद ही भारत सरकार की ओर से पाकिस्तान के अंतरिम प्रांत के फैसले को लेकर नाराजगी भी जता दी गई थी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट कर दिया था कि गिलगित-बाल्टिस्तान समेत पूरा पीओके भारत का अभिन्न अंग है।

राजनाथ सिंह ने गिलगित-बाल्टिस्तान मामले को लेकर पाकिस्तान पर निशाना साधा और कहा कि दोनों स्थानों पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है। पाकिस्तान अब गिलगित-बाल्टिस्तान को राज्य बनाने जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम लोग नहीं चाहते थे भारत का विभाजन हो, लेकिन हो गया। पाकिस्तान को आईना दिखाते हुए राजनाथ ने कहा कि हम जानते हैं कि जो हिंदू-सिख-बौद्ध पाकिस्तान में रह गए उनके साथ कैसा सुलूक हो रहा है। हमने वहां पर मजहबी उत्पीड़न झेल रहे अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता कानून बनाया है।

इमरान खान की घोषणा के बाद ही भारत सरकार ने पाकिस्तान के समक्ष अपनी कड़ी आपत्ति जाहिर कर दी थी। सरकारी बयान में कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से जुड़ा पूरा इलाका भारत का है। इसी के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान प्रांत भी भारत के हिस्से में आता है। इसलिए पाकिस्तान को भारत के इस क्षेत्र पर अवैध और बलपूर्वक कब्जा करने का कोई अधिकार नहीं है।

पाकिस्तान में हैं कुल चार प्रांत

पाकिस्तान में कुल चार प्रांत हैं। इनमें बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध हैं। इमरान खान इसी तर्क के तहत इस इलाके में चुनाव करवाकर अपना संविधान लागू करना चाहते हैं।

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तो भारत का होता यहां कब्जा

ब्रिटेन ने सन् 1935 में इस क्षेत्र को लीज पर गिलगित एजेंसी को दे दिया था। जिसके बाद 1947 में जब देश आजाद हुआ तो अंग्रेजों ने इस इलाके को जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को लौटा दिया था। बाद में राजा हरि सिंह ने 31 अक्टूबर 1947 को पूरे जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में कर दिया था। इसके बाद गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान ने 2 नवंबर 1947 को विद्रोह कर दिया था। पाकिस्तान ने मौके का फायदा उठाते हुए हमला कर दिया और इलाके पर अपना कब्जा जमा लिया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा सीजफायर घोषित करने के बाद से पाकिस्तान इस इलाके पर अपना कब्जा जताता रहा, लेकिन भारत हमेशा इसे अपना क्षेत्र बताता रहा है।