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कोरोना काल में लोगों को ‘सांसे’ मुहैया करा रहे गौरव, अब तक कई मरीजों की कर चुके हैं मदद

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पटनाः कोरोना काल में जब बड़े अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन के लिए मारामारी हो रही है, तो वहीं पटना के रहने वाले गौरव राय लोगों के मसीहा बनकर सामने आए हैं। गौरव अपनी क्षमता के मुताबिक जहां तक हो सके लोगों को मुफ्त में ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचा रहे हैं। गौरव के पास प्रतिदिन दो हजार से ज्यादा कॉल आते हैं। गौरव कहते हैं कि वे सभी को तो ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मुहैया करा पाते हैं लेकिन क्षमता के मुताबिक उनकी कोशिश सभी जरूरतमंदों तक सिलेंडर पहुंचाने की होती है।

गौरव की मानें तो पिछले साल जुलाई में वे खुद कोविड से संक्रमित हुए थे और उन्हें पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कोविड वार्ड में ले जाया गया था। उन्हें वहां कोई सुविधा नहीं मिली। उस दौरान गौरव का ऑक्सीजन लेवल में लगातार गिरावट आ रही थी और कोई ऑक्सीजन देने वाला नहीं था। उनकी पत्नी द्वारा चार-पांच घंटे के परिश्रम के बाद एक ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था हुई थी। गौरव इसके बाद कोरोना को मात देकर जब घर पहुंचे तब उन्होंने कोविड मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराने की ठानी और तब से अब तक इस काम को वे बखूबी अंजाम दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रारंभ में उन्होंने अपने घर में ऑक्सीजन सिलेंडर बैंक बनाया। वह आसपास के लोगों और मित्रों को जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराने लगे। जब उन्होंने सिलेंडर मुहैया कराने की शुरुआत की तो उनके पास मात्र 10 सिलेंडर थे, लेकिन कड़ी मेहनत के बाद उनके पास 200 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर है, जो कई मित्रों द्वारा डोनेट किए गए हैं। पटना में ‘ऑक्सीजन मैन’ नाम से मशहूर 52 वर्षीय गौरव राय अपनी छोटी वैगन आर कार में ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करते हैं।

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उन्होंने कहा कि इस काम में उनकी पत्नी भी खूब मदद करती हैं। गौरव का दावा है कि उन्होंने अब तक 900 से अधिक लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर दे चुके हैं। इस कार्य के लिए गौरव किसी से एक पैसा नहीं लेते। गौरव कहते हैं कि इस काम में वे कोई कोताही नहीं बरतते। उनके पास अधिकांश वैसे लोगों के फोन आते हैं जो होम क्वारंटीन होते हैं और उनका ऑक्सीजन लेवल गिरता जाता है। गौरव उन मरीजों तक खुद पहुंचते हैं और उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर लगाते हैं। बहरहाल, गौरव आज इस मुसीबत भरे समय में दूसरे लोगों के लिए आदर्श बने हुए हैं। आज कई कोरोना मरीजों के लिए गौरव मसीहा बन गए हैं।