नई दिल्लीः ‘वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
हिंदू धर्म में गणेश जी को देवों में प्रथम माना गया है। उनकी स्तुति के बिना किसी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं होती। माना जाता है कि किसी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा-अर्चना की, तो उस कार्य में सफलता मिलना निश्चित है। गणेश जी को प्रसन्न करना भी आसान है।
बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से तमाम समस्याओं का निवारण होता है और जीवन में खुशहाली आती है। गणेश जी की पूजा-अर्चना के बाद उनकी आरती विशेष रूप से करनी चाहिए। इससे पूजा संपन्न मानी जाती है और आपको मन वांछित फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं भगवान गणेश जी की आरती –
गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Aarti) –
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
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गण्ेाश जी को रिद्धि-सिद्धि के दाता माना जाता है। घर में सुख-शांति व समृद्धि के लिए गणेश जी की स्तुति प्रति दिन करनी चाहिए। गणेश जी की पूजा-अर्चना के बाद उनकी आरती जरूर करनी चाहिए, इससे गणेश जी प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद आप पर बना रहता है।
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