नई दिल्लीः गोरखपुर स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस (Geeta Press) को वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। इस ऐलान के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस ने जहां इस मामले पर केंद्र सरकार की आलोचना की है। तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों के प्रचार-प्रसार और पहुंच में गीता प्रेस के महत्वपूर्ण योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार मिलना उन्हीं के प्रयासों का परिणाम है।
मोदी सरकार के समर्थन में उतरे वरुण गांधी
इस बीच उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से बीजेपी के लोकसभा सांसद वरुण गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा गीता प्रेस (Geeta Press) गोरखपुर को दिए जाने वाले गांधी शांति पुरस्कार का समर्थन करते हुए कहा है कि गीता प्रेस सिर्फ प्रकाशक नहीं, बल्कि एक संपूर्ण आंदोलन है। वरुण गांधी ने एक दूसरे की आस्था के परस्पर सम्मान को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की पहचान बताते हुए बिना नाम लिए गीता प्रेस की आलोचना करने वालों पर निशाना साधा और कहा कि अनावश्यक आलोचना ही नकारात्मकता का आधार बन जाती है।
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बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने ट्वीट किया, गीताप्रेस सिर्फ प्रकाशक नहीं है, यह एक संपूर्ण आंदोलन है। जिन्होंने उच्च स्तरीय भाषा में लिखी गई त्रुटिहीन पुस्तकों के माध्यम से गरीब से गरीब परिवार को अपने धर्म से जोड़ा। अनावश्यक आलोचना नकारात्मकता का आधार बन जाती है।
एक समय वरुण गांधी को भाजपा में हिंदुत्व का फायर ब्रांड नेता कहा जा रहा था, लेकिन वरुण गांधी ने किसान आंदोलन और अन्य कई विषयों पर अपनी ही सरकार से अलग लाइन लेकर कई सवाल खड़े कर दिए थे। राजनीतिक गलियारे में लगातार यह सवाल उठ रहा था कि क्या बीजेपी और वरुण गांधी के बीच कुछ ही दिन के रिश्ते बचे हैं। लेकिन गीता प्रेस मामले में सरकार के साथ खड़े होकर वरुण गांधी ने अपनी तरफ से साफ तौर पर राजनीतिक संदेश दिया है।
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