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Chhattisgarh: पहली बार ग्रामीणों ने किया सीएसबी कैंप हटाने का किया विरोध, स्थगित हुआ प्रस्ताव

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Chhattisgarh, कांकेरः बस्तर संभाग के नक्सल इलाकों में सीएसबी कैंप खोले जाने का अक्सर विरोध होता रहा है। ग्रामीण फोर्स के आने के विरोध में खड़े होते रहे हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब लोहत्तर थाना क्षेत्र के दुर्गूकांदल ब्लॉक के जाड़ेकुर्से गांव में सीएसबी कैंप को हटाने के लिए पुलिस ने कार्रवाई शुरू की तो 12 गांवों के ग्रामीणों ने कैंप को घेर लिया और कैंप हटाए जाने के विरोध में धरने पर बैठ गए।

हमेशा कैंप का विरोध करते थे ग्रामीण

इससे पहले जिस भी गांव में कैंप लगाया जाता था, वहां ग्रामीण कैंप लगाने का विरोध करते थे। रात भर ग्रामीण अपने घर नहीं लौटते थे और धरना स्थल पर ही डटे रहते थे, ग्रामीण चाहते हैं कि कैंप बंद न हो। ग्रामीणों का कहना है कि सीएसबी कैंप हटाए जाने के बाद नक्सली फिर से गांव में हावी हो सकते हैं। इसके बाद ग्रामीणों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस प्रशासन ने फिलहाल कैंप हटाने के प्रस्ताव को स्थगित कर दिया है। इस संबंध में कांकेर एसपी इंदिरा कल्याण एलसेला ने बताया कि ग्रामीणों की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है, ग्रामीणों के विरोध के बाद उनकी आशंकाओं को देखते हुए फिलहाल कैंप हटाने का प्रस्ताव स्थगित कर दिया गया है।

ग्रामीणों ने कहा रुक जाएगा विकास

भविष्य में जो भी व्यवस्था होगी, इस कैंप को वहीं बनाए रखा जा सकता है या किसी अन्य बटालियन को जिम्मेदारी देकर इसे शिफ्ट करने पर विचार किया जाएगा। ग्रामीणो का मानना है कि कैंप यहां से हटाए जाने पर यहां का विकास फिर से रुक जाएगा। ग्रामीणों ने कैंप न हटे इसके लिए ग्रामीण जवानों को रोकने के लिए फिर धरने पर बैठ गए। ग्रामीण ठंड में अलाव जलाकर रातभर धरने पर बैठे रहे।

ग्रामीण संतोष ने बताया कि शनिवार शाम को कैंप हटाने के लिए जेसीबी लाई जा रही थी। सूचना मिलते ही ग्रामीण फिर से धरने पर बैठ गए, उन्होंने कहा कि जब तक हमें लिखित आदेश नहीं मिलता, हम धरने पर बैठे रहेंगे। क्योंकि नक्सलियों से अभी भी खतरा बना हुआ है। नक्सली अंदर के गांवों में आते हैं, जैसे ही कैंप हटेगा, नक्सली फिर से गांव में घुस आएंगे। ग्रामीणों का कहना है कि 4 साल पहले एक सहायक आरक्षक क्षेत्र से गायब हो गया था और अब तक उसका पता नहीं चला है। ग्रामीणों को शक है कि नक्सली उसे उठाकर ले गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पहले नक्सली जन अदालत लगाते थे और लोगों के साथ मारपीट करते थे। ग्रामीणों का कहना है कि अब कैंप लगने के बाद ग्रामीण शांति से रहने लगे हैं।

सुधर रहे बच्चों के भविष्य

ग्रामीणों के बच्चे भी पढ़ने लगे हैं। अब हर घर से कोई न कोई 12वीं पास हो गया है। ग्रामीणों को क्षेत्र में सड़क, पुल समेत मूलभूत सुविधाएं मिल रही हैं, अगर कैंप हट गया तो हमें दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। कांकेर जिले के दुर्गूकांदल ब्लॉक का जाड़ेकुर्से गांव जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर है। पुलिस ने वहां लगे सीएसबी कैंप को हटाने का फैसला लिया था। पुलिस का कहना है कि लंबे समय से गांव में जवानों की मौजूदगी और लगातार सर्च ऑपरेशन के कारण अब इस गांव में नक्सलियों का प्रभाव खत्म हो गया है, इसलिए यहां कैंप की जरूरत नहीं है।

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गौरतलब है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र दुर्गूकांडल में 2008 में सीएसबी कैंप खोला गया था। इस इलाके में नक्सलियों ने कई घटनाओं को अंजाम दिया है। कैंप लगने के बाद नक्सली घटनाओं में कमी आई थी। अब कैंप को हटाकर दूसरे इलाके में शिफ्ट किया जा रहा था। ग्रामीणों के विरोध के बाद पुलिस प्रशासन ने फिलहाल सीएसबी कैंप हटाने के प्रस्ताव को स्थगित कर दिया है।

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