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उप्र में परिवार नियोजन को लेकर ऐसे जोड़ों पर किया जाएगा फोकस

FAMILY PLANNING

   

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अब परिवार नियोजन कार्यक्रम को मिशन मोड में चलाया जाएगा। इससे जहां शिशु व मातृ मृत्यु दर में कमी आएगी वहीं घर-घर बेहतर स्वास्थ्य के आयाम मिल सकेंगे। खास तौर से कम उम्र के और कम बच्चे वाले दम्पतियों यानी यंग ऐंड लो पैरिटी कपल्स (वाईएलपीएस) के लिए परिवार नियोजन सेवाओं पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।

दरअसल एक आकलन के अनुसार, उत्तर प्रदेश में चार महिलाओं और लड़कियों में से लगभग एक महिला या लड़की को बच्चे के जन्म में अंतर रखने की विधि की आवश्यकता है। वाईएलपीएस की आधुनिक गर्भ निरोधक प्रसार दर सिर्फ 13 प्रतिशत है। ये वे महिलाएं हैं, जो बच्चों के जन्म में अंतर रखना चाहती हैं लेकिन, गर्भनिरोधक की आधुनिक विधि का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। इसके कई कारण हैं, इनमें प्रमुख रूप से स्वास्थ्य कार्यकर्ता की कम पहुंच, परिवार नियोजन पर आपस में बातचीत की कमी आदि है। ये इन गर्भनिरोधक विधियों तक कम उम्र के लोगों की पहुंच में मुख्य बाधक हैं।

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ऐसे में वर्तमान में कोरोना वैश्विक महामारी के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार कम उम्र के और कम बच्चे वाले दम्पतियों के बच्चे पैदा करने की योजना बनाने के लिए नए और सुरक्षित गर्भनिरोधक अंतर विकल्प प्रदान कर रही है। परिवार नियोजन उत्पादों के वितरण और परामर्श सेवाएं प्रदान करने के लिए आवश्यक सेवाओं एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को बढ़ाया है।

स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने विभाग के अधिकारियों को सलाह दी है कि वह प्रदेश के युवा दम्पति को परिवार नियोजन कार्यक्रम से जोड़ें। स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक राज्य ने उन सभी प्रवासियों के लिए आजीविका और सामाजिक सुरक्षा का अधिकार भी सुनिश्चित किया है जो कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान इस राज्य में वापस आए हैं। इस दिशा में निजी संगठनों की भी मदद ली जा रही है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से बिल ऐंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशन की सहयोगी संस्था ममता एचएमआईएस के जरिए एक वर्चुअल संवाद में भी इस विषय पर विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी।

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की महानिदेशक अपर्णा उपाध्याय के मुताबिक, हमारी एमसीपीआर दर आदर्श रूप से 52 प्रतिशत होनी चाहिए। यह लम्बे समय से 31 प्रतिशत ही है। ऐसे में इसे मिशन मोड में बढ़ाने की जरूरत है। कुछ जिलों में यह दर ज्यादा है और कुछ जिलों में यह कम है। महानिदेशक, परिवार कल्याण डॉ. राकेश दुबे ने कहा कि कम उम्र के दम्पति की शादी जल्दी हो जाती है और उन्हें परिवार नियोजन के बारे में ज्यादा नहीं मालूम होता है। इस वजह से सरकार इन कम उम्र के लोगों को समुदाय के अनुकूल विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा लक्षित कर रही है।

बीएमजीएफ के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. देवेंद्र खंडैत ने कहा कि परिवार नियोजन विधि को समुदाय तक पहुंचाना अगला महत्वपूर्ण कदम है। परिवार नियोजन और बच्चों के जन्म में अंतर रखने की गर्भ निरोधक विधि को एक में शामिल करना राज्य की और हमारी साझा प्राथमिकता है।