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FIFA World Cup: आखिरी बार 32 टीमें लेंगी हिस्सा, 106वें स्थान पर काबिज भारत के लिए विश्व कप दूर का सपना

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नई दिल्लीः कतर में फीफा (FIFA) विश्व कप (20 नवम्बर से 18 दिसम्बर) आज शुरू हो रहा है। फीफा के इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में मौजूदा चैंपियन फ्रांस सहित कुल 32 टीमें शामिल हैं। उद्घाटन मुकाबला मेजबान कतर और इक्वाडोर के बीच होगा। 8 ग्रुप में चार-चार टीमों को बांटा गया है। 29 दिन में 48 लीग मुकाबलों सहित कुल 64 मैच खेले जाएंगे। वहीं लीग स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करने वाली 16 टीमें नॉकआउट के लिए क्वालीफाई करेंगी। नॉकआउट मुकाबलों का आगाज 3 दिसम्बर होगा। जबकि टूर्नामेट का फाइनल मुकाबला 18 दिसम्बर को खेला जाएगा। 32 सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल देश अपनी अंतिम तैयारियों में लगे हुए हैं, जबकि उनके देशवासी प्रतिष्ठित ट्रॉफी पर कब्जा करने लिए अपनी टीमों के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।

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आखिरी बार 32 टीमें लेंगी हिस्सा

फीफा विश्व कप (FIFA) में आखिरी बार 32 टीमें हिस्सा लेंगी। इसके बाद यानी 2026 में आयोजित होने वाले फुटबॉल के महाकुंभ में टीमें बढ़ जाएंगी। 2026 में फीफा विश्व कप का आयोजन अमेरिका, मैक्सिको और कनाडा की संयुक्त मेजबानी में होगा, जिसमें टीमों की संख्या बढ़कर 48 हो जाएंगी। पहली बार इस टूर्नामेंट में कुल 13 टीमों ने भाग लिया था।

वहीं भारत के लोगों में भी फुटबॉल का फीवर चढ़ता दिख रहा है। हालांकि अधिकतर लोगों की ब्राजील पसंदीदा टीम बनी हुई है, जबकि बहुत से लोग फ्रांस और लियोनल मैसी के नेतृत्व वाले अर्जेंटीना के बीच विभाजित हैं। अब सवाल उठता है जब भारत में खेल (फुटबॉल) के लिए इतना उत्साह है, तो ओलंपिक चैम्पियन तैयार करने वाला देश फुटबॉल विश्व कप के लिए क्वालीफाई क्यों नहीं कर सकता?

चार साल बाद जब भी फीफा विश्व कप होता है, तो भारतीय प्रशंसकों का एक ही सवाल होता है- भारत इस खेल के शोपीस इवेंट में कब खेलेगा, यानी क्वालीफाई कब करेगा ?, और उत्तर हमेशा एक ही होता है- भारत में खेल के स्तर को देखते हुए, भारत विश्व कप में कभी नहीं खेलेगा। अगर इस बेशर्म जवाब के पीछे छिपे सच को सामने लाया जाए तो शायद भारतीय फुटबॉल को फायदा हो सकता है।

भारतीय फुटबॉल के अधिकारी शायद इस सच को सामने नहीं आने देते। जो लोग भारतीय फुटबॉल की दुर्दशा के आलोचक हैं, वह भी इस बात से सहमत हैं कि देश में खेल का स्तर विश्व मानकों से बहुत पीछे है। हमारे खिलाड़ियों में न तो उस तरह का हुनर है और न ही स्पॉट के मेगा इवेंट में मुकाबला करने की फिटनेस। ब्लू टाइगर्स (भारतीय टीम) शायद 1940 के दशक के अंत से 1960 के दशक के अंत तक अपने स्वर्णिम वर्षों में थे- जिस दौरान उन्होंने चार ओलंपिक में भाग लिया और एशियाई खेलों में दो बार स्वर्ण पदक जीता। 1970 के बाद से, भारतीय टीम के प्रदर्शन में लगातार गिरावट देखी है।

Kolkata:Indian footballers during a practice session for AFC Asian Cup 2023 Qualifiers ahead of their Final round match against Hong Kong at VYBK Stadium in Kolkata on Monday June 13,2022.(Photo: Kuntal Chakrabarty/IANS)

क्या किया जाए?

कल्याण चौबे के अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के साथ, भारतीय फुटबॉल के रोडमैप के बारे में बहुत सारी बातें हो रही हैं। अध्यक्ष बनने के बाद, चौबे ने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत में खेल के विकास के लिए रूपरेखा तैयार की। कार्यालय में 100 दिन पूरे होने पर, चौबे ने पत्रकारों से कहा, हम इसे (रोडमैप) सफल बनाने के लिए अपनी पूरी क्षमता से काम करेंगे। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य संघों को केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के बुनियादी ढांचे के समर्थन से लाभ हो। हमारे पास और टूर्नामेंट शुरू करने की भी योजना है। अगर हम अंडर-21 राष्ट्रीय चैम्पियनशिप को फिर से शुरू करते हैं, तो इससे भारत की अंडर-21 टीम को फायदा होगा।

उन्होंने कहा- सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए एक समान युवा लीग शुरू की जाएगी। हर राज्य में पूर्व फुटबॉलर, जो एक दशक से अधिक समय तक खेले हैं, उनको इसमें शामिल किया जाएगा। उनकी विशेषज्ञता (हुनर) का उपयोग युवा प्रतियोगिताओं में स्काउट्स (सीखाने) के रूप में किया जा सकता है। वर्तमान में, केवल कुछ राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, गोवा, केरल, पूर्वोत्तर राज्यों और दिल्ली में विभिन्न श्रेणियों में अपनी लीग हैं। पंजाब, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में शायद ही ऐसी कोई फुटबॉल लीग हो।

कैसे ISLऔर आई-लीग भारतीय फुटबॉल की मदद कर रहे हैं

इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के शुरूआती चरण में विश्व फुटबॉल के बड़े नाम इसमें खेल रहे थे, जिनमें रॉबर्ट पाइर्स, एलेसेंड्रो डेल पिएरो, रॉबटरे कार्लोस, डेविड ट्रेजेगेट और डिएगो फोर्लान शामिल थे। लेकिन भारतीय फुटबॉल के आलोचकों का कहना था कि लीग में गुजरे जमाने के सुपरस्टार्स की मौजूदगी से राष्ट्रीय टीम को कोई फायदा नहीं होने वाला है।

इनमें से अधिकांश विदेशी खिलाड़ी अपने करियर के अंत में थे और अपेक्षाकृत कम समय के लिए यहां रुके थे, लेकिन उनकी उपस्थिति ने भारतीय फुटबॉल के लिए आधार तैयार किया। टिम काहिल, असामोह ज्ञान और फ्रांसिस मदीना लूना जैसे खिलाड़ियों ने संन्यास लेने से पहले भारत में चुनौतियों का सामना किया। इन विश्व स्तरीय पेशेवरों की उपस्थिति से भारतीय खिलाड़ियों को निश्चित रूप से लाभ हुआ है।

2010 से 2020 तक का सफर राष्ट्रीय टीम के लिए बड़े बदलावों में से एक रहा है। जब कोई लक्ष्य और इरादा हो तो संभावनाएं बहुत बढ़ जाती हैं। लेकिन, क्या भारतीय टीम के विश्व कप में खेलने के लिए इतना काफी है? हरगिज नहीं। भारतीय टीम 6 अक्टूबर को जारी फीफा रैंकिंग में 106वें स्थान पर है। ब्लू टाइगर्स, जिन्होंने 2023 एएफसी एशियन कप के लिए क्वालीफाई किया है, भारत ने आखिरी बार सितंबर में दो अंतर्राष्ट्रीय फ्रैंडली मैच खेले थे। उन्होंने सिंगापुर के साथ 1-1 ड्रॉ किया और वियतनाम से 0-3 से हार गए।

उभरते फुटबॉल खिलाड़ी अक्सर पूछते हैं कि भारत विश्व कप में क्यों नहीं खेलता। मेसी और रोनाल्डो जैसे महान खिलाड़ियों के साथ सुनील छेत्री की तस्वीर देखने के बाद से उनकी उत्सुकता काफी बढ़ गई है। उन्हें कैसे बताएं कि हमें अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है?

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