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अंधविश्वास ने पूरे गांव को बना दिया हत्यारा, दो सालो से हो रही हैं अजीब घटनाएं

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सुकमाः जिले के कोंटा मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर सलवा जुडूम आंदोलन के बाद बसे मुरलीगुड़ा पंचायत के इटकल गांव में अंधविश्वास (Superstition) की जड़ें इतनी गहरी थीं कि पूरा गांव हत्यारा बन गया। रविवार को ग्रामीणों ने ही राज्य पुलिस बल के जवान और उसके परिवार की हत्या कर दी, जिसमें हेड कांस्टेबल मौसम बुच्चा, उसके माता-पिता, पत्नी और बहन शामिल थे। रविवार की सुबह ग्रामीणों के बीच बैठक में निर्णय लिया गया कि इस परिवार को ही खत्म कर देना है। इसके बाद गांव के सैकड़ों लोगों ने पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया।

गांव के हित के लिए उठाया ये कदम

इस हृदय विदारक हत्याकांड के बाद भी ग्रामीणों में किसी बात को लेकर कोई आक्रोश नहीं है। हत्या के बाद कुछ ग्रामीण सबूतों के साथ आत्मसमर्पण करने कोंटा थाने पहुंचे थे। बुच्चा के घर में मातम पसरा था, बुच्चा की बहन रावली और चचेरी बहन नागी दहाड़ मारकर रो रही थीं, गांव में पुलिस बल का पहरा था। ग्रामीण अभी भी इस घर से दूरी बनाए हुए थे। हत्याकांड के बाद गांव में किसी तरह का मातम नहीं दिखा। इस गांव के ग्रामीणों को पूरा भरोसा था कि अब यह गांव विपत्ति से मुक्त हो जाएगा।

बच्चों ने बताया कितने लोग हैं आरोपी

मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने सिर्फ पांच ग्रामीणों को आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया है, जबकि मृतक जवान के बच्चों ने बताया कि गांव के तमाम लोगों की भीड़ उनके घर की ओर बढ़ने लगी, सभी के पास लाठी-डंडे थे। वे घर के सामने आकर पहले मृतक से बहस करने लगे, इसके बाद जब डीआरजी के हेड कांस्टेबल पिता वहां पहुंचे तो सभी ग्रामीणों ने अचानक सभी पर हमला कर दिया और उन पर लाठी-डंडे बरसाने शुरू कर दिए। जब ​​तक उन्हें संभलने का मौका मिलता, सभी की मौत हो चुकी थी। दोनों बच्चों ने बताया कि वे हर उस ग्रामीण को जानते हैं, जो उनके घर पहुंचा और उनके परिजनों की हत्या में शामिल था।

अचानक हो रही मौतों से लोगों में थी दहशत

गौरतलब है कि दोरला जनजाति बहुल 36 परिवारों की इस बस्ती की आबादी करीब 150 है। पिछले दो सालों से गांव में अचानक ग्रामीणों की मौत हो रही थी। ग्रामीणों ने बताया कि दो सालों में करीब 30 लोगों की मौत बीमारी और अन्य कारणों से हो चुकी है। इसमें भी साल 2023 में सबसे ज्यादा लोगों की मौत बुधवार को और 2024 में मंगलवार को हुई है। इस हत्याकांड से पहले गांव में लगातार तीन मंगलवार को लोगों की मौत हुई थी। इससे गांव के लोगों के मन में धीरे-धीरे मौत का डर घर करने लगा। बुच्चा की मां बीरी गांव में वड्डे (चुड़ैल) का काम करती थी। गांव में अफवाह फैलने लगी कि इस आपदा के पीछे बीरी का हाथ है, वह काला जादू कर लोगों को मार रही है। इससे लोगों में धीरे-धीरे गुस्सा बढ़ने लगा।

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शिक्षा अभाव अंधविश्वास की बड़ी वजह

इटकल में हुए दर्दनाक नरसंहार का मूल कारण अशिक्षा और अंधविश्वास है। इटकल गांव के ज्यादातर लोग अशिक्षित हैं। पूरे गांव में सिर्फ 25 लोग ही शिक्षित हैं। गांव में एक प्राइमरी स्कूल खोला गया है, लेकिन सिर्फ 13 बच्चे ही पढ़ने आते हैं। पूरे गांव में चार बच्चे दसवीं और आठ बच्चे पांचवीं तक पढ़े हैं। शिक्षा के अभाव में वे अपनी समस्याओं का इलाज काला जादू या तंत्र-मंत्र से करने में विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि वे गांव में बीमारी से होने वाली मौतों के लिए तंत्र-मंत्र को जिम्मेदार मानते हैं।

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