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संघर्ष विराम की खुशी नहीं ! अपना टूटा आशियाना देख बिलख पड़े लोग

बेरूतः लेबनान में बुधवार सुबह 4 बजे अमेरिका और फ्रांस के प्रयासों से लागू हुए संघर्ष विराम ने विस्थापन के दर्द को और बढ़ा दिया है। संघर्ष विराम समझौते से बंधे इजरायली सुरक्षा बलों और हिजबुल्लाह आतंकियों की मिसाइलों और रॉकेटों की गर्जना थम गई है। अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में इस संघर्ष विराम को ‘असहज’ बताया गया है।

Ceasefire: शर्तों का कई बार हुआ उल्लंघन

ऐसा इसलिए क्योंकि इजरायल ने संघर्ष विराम समझौते की शर्तों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया और पलक झपकते ही आतंकियों पर हवाई हमला कर उनके मंसूबों को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद हिजबुल्लाह के तोपखाने शांत हो गए। लेकिन कल लेबनानी सेना ने इजरायल पर ‘कई बार’ संघर्ष विराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाकर युद्ध की पहले से ठंडी पड़ चुकी लपटों में घी डालने का काम किया है।

Ceasefire: घर नहीं केवल मलबा ही मलबा

इस बीच लेबनान के लगभग सभी हिस्सों में लोगों ने संघर्ष विराम का स्वागत किया। लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही जनजीवन सामान्य हो जाएगा। युद्ध की विभीषिका के बीच अपने घर-बार छोड़कर कस्बों और गांवों से भागे लोगों की वापसी शुरू हो गई है। कुछ को तो घर ही नहीं मिला। कंक्रीट और मुड़ी हुई धातु के ढेर देखकर लोग रो पड़े। लेबनानी सेना ने गुरुवार को कहा कि लोगों की वापसी का रास्ता साफ करने के लिए हिजबुल्लाह के गढ़ों में सेना भेजी गई है।

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केवल 60 दिनों का है युद्ध विरामः इजरायल

लेकिन इजरायली सेना ने लोगों को चेतावनी दी है। इसने कहा है कि सीमा के पास के गांवों में लौटना अभी सुरक्षित नहीं है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस युद्ध ने लेबनान की लगभग एक-चौथाई आबादी को अपने घरों से भागने पर मजबूर कर दिया। यह युद्धविराम 60 दिनों के लिए है। समझौते में लेबनान से इजरायली सेना की क्रमिक वापसी की बात कही गई है।

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