लखनऊः TB (तपेदिक) एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन यह लाइलाज नहीं है। नियमित दवाओं के सेवन से यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो जाती है। हालांकि, ठीक होने के बाद भी नियमित फॉलोअप के अभाव में इसके दुष्प्रभाव सामने आ सकते हैं।
ट्यूबरक्लोसिस, रैपिड असेसमेंट इंडिया, 2023 के अनुसार, 49 देशों में किए गए शोध से यह निष्कर्ष सामने आया कि TB से उबरने के बाद 23.1 फीसदी लोगों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, 20.7 फीसदी लोगों में श्वसन संबंधी समस्याएं, 17.1 फीसदी लोगों में मस्कुलोस्केलेटल समस्याएं, 14.5 फीसदी लोगों में सुनने संबंधी समस्याएं, 9.8 फीसदी लोगों में देखने संबंधी समस्याएं, 5.7 फीसदी लोगों में किडनी संबंधी समस्याएं और 1.6 फीसदी लोगों में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं देखने को मिलीं।
मरीज को खान-पान का रखना चाहिए विशेष ध्यान
भारत जैसे निम्न आय वाले देशों में न्यूरोलॉजिकल नुकसान के सबसे ज्यादा 25.6 फीसदी मरीज पाए गए, जबकि अधिक आय वाले देशों में TB मरीजों में श्वसन संबंधी परेशानियां 61 फीसदी और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें 42 फीसदी मरीजों में देखने को मिलीं। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष और राष्ट्रीय TB उन्मूलन कार्यक्रम के नॉर्थ जोन टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि TB की दवाओं के सेवन के दौरान कुछ लोगों में प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देते हैं, जैसे देखने में समस्या, लिवर संबंधी समस्याएं आदि।
इन समस्याओं का समय रहते पहचान होने से इलाज संभव हो जाता है। डॉ. सूर्यकांत ने कहा कि TB का इलाज पूरा हो जाने के बाद भी दो साल तक फॉलोअप जरूरी होता है, क्योंकि उसके बाद भी परेशानियां बनी रह सकती हैं। उन्होंने सलाह दी कि TB से उबरने वाले मरीजों को अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए और अगर कुछ भी असामान्य लगे तो विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर, यदि सांस संबंधी समस्या है तो सांस रोग विशेषज्ञ को, मानसिक समस्या है तो मानसिक रोग विशेषज्ञ को दिखाएं। इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें और चिकित्सक की सलाह का पालन करें। कुछ TB रोगियों को पल्मोनरी पुनर्वास (च्नसउवदंतल त्मींइपसपजंजपवद) की जरूरत होती है। उत्तर प्रदेश का पहला पल्मोनरी पुनर्वास केंद्र केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में स्थापित किया गया है।
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करानी चाहिए नियमित जांच
इसके संस्थापक डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि TB के उपचार के बाद भी सांस की समस्या बने रहने के निवारण के लिए इस केंद्र पर सभी सुविधाएं मौजूद हैं। ऐसे रोगियों की यहां निःशुल्क चिकित्सा की जाती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि TB के इलाज के बाद भी मरीजों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए और नियमित जांच कराते रहना चाहिए। इससे संबंधित समस्याओं का समय रहते पता चल सकता है और उनका उचित इलाज किया जा सकता है।
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