शिमलाः राजधानी शिमला में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सहायक निदेशक रहे विशाल दीप सिंह पर 181 करोड़ रुपये के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़े मामले में रिश्वत मांगने का आरोप लगा है। शिक्षण संस्थानों के मालिकों ने उन पर 25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। इन संस्थानों के मालिकों ने सोमवार को शिमला में प्रेस वार्ता में कहा कि विशाल दीप सिंह ने उन्हें ED कार्यालय में बुलाकर लगातार परेशान किया और गिरफ्तारी की धमकी देकर रिश्वत मांगी।
ED के दफ्तर बुलाकर मांग गई रिश्वत
दरअसल छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़ा यह मामला केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश में एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों के लिए वर्ष 2013 से 2017 के बीच शुरू की गई छात्रवृत्ति योजना के दुरुपयोग से जुड़ा है। इस योजना को राज्य सरकार के माध्यम से क्रियान्वित किया गया था। लेकिन 181 करोड़ रुपये के इस फंड को निजी शिक्षण संस्थानों ने हड़प लिया। वर्ष 2019 में राज्य सरकार के अनुरोध पर CBI ने इस मामले की जांच शुरू की थी। शिक्षण संस्थानों के मालिक रजनीश बंसल ने कहा कि शुरुआत में जांच सामान्य तरीके से चल रही थी। लेकिन नवंबर में ED अधिकारी विशाल दीप सिंह के ED का सहायक निदेशक बनते ही उसने संस्थानों के मालिकों को दफ्तर में बुलाकर रिश्वत मांगनी शुरू कर दी।
प्रत्येक संस्थान से एक करोड़ रुपये मांगे गए। पैसे देने से मना करने पर गिरफ्तार करने की धमकी दी। मालिकों का कहना है कि रिश्वत की यह मांग इतनी बढ़ गई कि नौबत आत्महत्या तक आ गई। परेशान होकर उन्होंने CBI को शिकायत की। शिकायत पर CBI ने कार्रवाई करते हुए जाल बिछाकर रिश्वत की रकम का एक हिस्सा बरामद कर लिया। जांच के दौरान जीरकपुर और पंचकूला में रिश्वत की रकम से संबंधित जगहों पर छापेमारी की गई। इसमें 55 लाख रुपये बरामद हुए। एक शिक्षण संस्थान के चेयरमैन ने बताया कि उन्हें 19 दिसंबर को ED दफ्तर बुलाया गया था।
आरोपी विशाल दीप सिंह फरार
यहां दो अन्य अधिकारियों नीरज गर्ग और सुनील कुमार ने पहले रिश्वत की रकम तय की और बाद में विशाल दीप सिंह ने अलग से और पैसे मांगे। इसके बाद संस्थान मालिकों को पंचकूला और जीरकपुर बुलाकर रिश्वत देने को कहा गया। CBI पहले से ही सतर्क थी और उसने इन जगहों पर जाल बिछा रखा था। इस मामले में ED अधिकारी विशाल दीप सिंह के भाई विकास दीप सिंह की भी संलिप्तता पाई गई थी। CBI ने उसके ठिकानों से रिश्वत की रकम बरामद की थी। हालांकि विशाल दीप सिंह अभी भी फरार है। विभाग ने उसे निलंबित कर दिया है, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई है।
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शिक्षण संस्थानों के मालिकों ने बताया कि उन्हें पूरे दिन ED कार्यालय में बैठाया गया और बार-बार रिश्वत मांगी गई। जब उन्होंने पैसे देने से मना किया तो उन्हें जेल भेजने की धमकी दी गई। उन्होंने बताया कि रिश्वत की मांग से तंग आकर उन्होंने CBI को सूचना दी। शिक्षण संस्थानों के मालिकों ने मांग की है कि विशाल दीप सिंह और अन्य आरोपी अधिकारियों को जल्द गिरफ्तार किया जाए और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उनका कहना है कि ऐसे अधिकारियों की वजह से जांच प्रभावित हो रही है और शिक्षा जगत की साख को बड़ा झटका लगा है। आपको बता दें कि शिमला स्थित ED कार्यालय में CBI की छापेमारी के बाद ED ने मुख्य आरोपी विशाल दीप सिंह को निलंबित कर दिया है, लेकिन वह अभी भी फरार है।
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