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New CJI DY Chandrachud: इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं डीवाई चंद्रचूड़, अपने इन फैसलों से बनाई अलग पहचान

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नई दिल्लीः जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ देश के अगले चीफ जस्टिस होंगे। 9 नवम्बर को वे मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेकर देश के 50वें चीफ जस्टिस बन जाएंगे। इनका पूरा नाम धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ है। वर्तमान चीफ जस्टिस यूयू ललित ने अगले चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नाम की अनुशंसा की थी। जस्टिस ललित 8 नवम्बर को रिटायर हो रहे हैं।

गौरतलब है कि 7 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस यूयू ललित से अगले चीफ जस्टिस के नाम की सिफारिश मांगी थी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दूसरे वरिष्ठतम जज हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का चीफ जस्टिस के रूप मे कार्यकाल दो साल से ज्यादा का होगा। वे 10 नवम्बर, 2024 को रिटायर होंगे, जबकि जस्टिस यूयू ललित का कार्यकाल 74 दिनों तक रहा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स से बीए ऑनर्स किया था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की थी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम किया था। वे विदेशों के कई यूनिवर्सिटी और लॉ कॉलेजों में व्याख्यान दे चुके हैं। वे अमेरिका के ओकलाहामा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ और मुंबई यूनिवर्सिटी में कंपरेटिव कांस्टीट्यूशनल लॉ में विजिटिंग प्रोफेसर रह चुके हैं।

2016 को बने सुप्रीम कोर्ट के जज -

उन्होंने अपनी वकालत बांबे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में की। उन्हें जून 1998 में बांबे हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया गया। वे 1998 से लेकर मार्च 2000 तक एएसजी रहे। उन्हें 29 मार्च, 2000 को बांबे हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया। 31 अक्टूबर, 2013 को उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया। 13 मई, 2016 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया।

पिता भी रह चुके हैं चीफ जस्टिस -

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता वाईवी चंद्रचूड़ भी देश के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। उन्हें 1978 में मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। वे देश के सबसे लंबे समय तक चीफ जस्टिस रहे। उनका कार्यकाल 1985 तक रहा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट में अपने महत्वपूर्ण फैसलों की वजह से जाने जाते हैं।

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आइए जानते हैं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के कुछ अहम फैसले -

समलैंगिक संबंधों को मान्यता -

आर्टिकल 377, यानी एक ऐसा कानून जिसमें एक पुरुष या महिला प्रकृति के विरुद्ध यौन संबंध बनाते हैं तो उन्हें सजा का प्रावधान था। इस कानून के खिलाफ एलजीबीटीक्यू (लेस्बियन, गे, बायसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर व क्वीर) समुदाय लंबे समय से लड़ाई लड़ रहा था। आखिरकार 18 साल के बाद 6 सितम्बर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 377 को खत्म कर समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता दी। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पीठ ने समलैंगिक संबंधों को कानून अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया। इस पीठ में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे।

गर्भपात का अधिकार -

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने एक केस में अहम फैसला सुनाकर देश में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भपात का अधिकार दिया। इसके तहत अविवाहित महिलाएं भी कानूनी रूप से 24 सप्ताह तक गर्भपात करा सकती हैं।

ट्विन टावर को गिराने का फैसला -

अभी हाल ही में नोएडा में ट्विन टावर को गिराया गया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस टावर में नियमों का उल्लंघन पाया, जिसके बाद 30 अगस्त 2021 को इस टावर को गिराने का फैसला सुनाया गया। आखिरकार 28 अगस्त को करप्शन के टावर को 3700 किलोग्राम विस्फोटक के द्वारा ढहा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में जस्टिस चंद्रचूड़ अध्यक्ष थे, साथ ही उन्होंने फ्लैट के खरीददारों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आईपीआर को 30 सितम्बर तक 1 करोड़ रुपये जमा करने के आदेश दिये।

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