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डीयू दाखिले, केरल के 2 हजार छात्रों ने किया नॉर्थ कैंपस के कॉलेजों में आवेदन

New Delhi: Candidates appearing for the medical entrance test of National Eligibility cum Entrance Test (NEET) outside an examination center following COVID protocols at Kerala School, New Delhi on Sunday, September 12, 2021. (Photo: Qamar Sibtain/IANS)

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रमों की 70 हजार से कुछ अधिक सीटों पर अब तक हजारों आवेदन आ चुके हैं। आवेदन करने वाले छात्रों में सबसे अधिक केरल के छात्र हैं। वहीं सौ फीसदी कट ऑफ वाले कोर्सेज में भी आवेदन की कमी नहीं है। सौ फीसदी वाली कट ऑफ से जुड़े कई पाठ्यक्रमों में छात्रों के दाखिले स्वीकृत भी हो चुके हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में स्नातक पाठ्यक्रमों में केरल राज्य शिक्षा बोर्ड के छात्रों ने अधिकांश सीटों के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। केरल बोर्ड के कुल 6,000 छात्रों ने सौ प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं, इनमें से 2,000 छात्रों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैंपस के कॉलेजों में दाखिले के लिए फार्म भरा है।

दरअसल केरल बोर्ड में 11 वीं और 12 वीं दोनों के अंकों को मिलाकर परिणाम घोषित किया जाता है। डीयू केवल 12वीं के अंकों पर विचार करता है। केरल के छात्रों के कक्षा 12 में सभी विषयों में 100 प्रतिशत और ग्यारहवीं कक्षा में 95 से नीचे हैं। ऐसे में यदि 11वीं और 12वीं कक्षा को मिलाकर देखें तो वे 100 प्रतिशत स्कोर नहीं करते हैं, लेकिन यदि केवल बारहवीं कक्षा पर विचार करें, तो उन्हें सौ प्रतिशत मिलता है।

दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा शुक्रवार 1 अक्टूबर को घोषित की गई पहली कटऑफ के मुकाबले ईडब्ल्यूएस श्रेणी की कटऑफ सिर्फ 0.50 से 0.75 प्रतिशत कम है। दिल्ली विश्वविद्यालय की इस हाई कटऑफ लिस्ट का सीधा सीधा प्रभाव ईडब्ल्यूएस श्रेणी के गरीब छात्रों पर पड़ रहा है।

हाई कटऑफ से दाखिले की बजाए अब सेंट्रल यूनिवर्सिटीज कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीयूसीईटी) लागू करने की मांग भी प्रबल हो गई है। इसके तहत सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट लिया जाएगा। नई शिक्षा नीति के तहत यह व्यवस्था अगले शैक्षणिक सत्र से लागू की जा सकती है।

दिल्ली विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य अशोक अग्रवाल ने दिल्ली विश्वविद्यालय समेत अन्य सभी विश्वविद्यालयों में प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला देने की मांग विश्वविद्यालय प्रशासन एवं शिक्षा मंत्रालय के समक्ष रखी है। उन्होने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में जिस तरह से कई विषयों के लिए 100 फीसदी की कट ऑफ लिस्ट जारी की गई है वह हजारों मेधावी छात्रों को हतोत्साहित करता है।

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पिछले साल दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा जारी की कई कटऑफ और विशेष अभियान के बावजूद, दिल्ली विश्वविद्यालय में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस छात्रों के कोटे की 5.6 फीसदी सीटें खाली रह गई थी। विश्वविद्यालय के कई प्रोफेसर इसका प्रमुख कारण उच्च कटऑफ को मानते हैं। अशोक अग्रवाल ने कहा कि हजारों छात्र 90 फीसदी से अधिक अंक लाकर भी दाखिला हासिल नहीं ले पा रहे हैं। यह स्थिति निराश करने वाली है।

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