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ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे से न करें गलत व्यवहार, लक्षण दिखने पर करें डाॅक्टर से परामर्श

autism

नई दिल्लीः दुनिया भर में आज विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन लोगों को ऑटिज्म नामक बीमारी के प्रति जागरूक किया जाता है। लड़कियों की तुलना में लड़कों में ऑटिज्म का खतरा अधिक होता है। कई बार यह जैनेटिक भी हो सकता है।

ऑटिज्म एक मानसिक बीमारी है। इससे बच्चे का मानसिक विकास पूरी तरह नही हो पाता है। यह छोटे बच्चों में अधिक देखने को मिलता है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को समाज में हेय दृष्टि से देखा जाता है जो बिल्कुल भी उचित नही है। ऑटिज्म पीड़ित बच्चे के इलाज में बिहेवियर थेरेपी, स्पीच थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी आदि का प्रयोग होता है, जिससे बच्चों को उन्हीं की भाषा में समझा जा सके। इस थेरेपी से बच्चे काफी हद तक सही हो जाते हैं। यदि किसी बच्चे में यह लक्षण दिख रहे हों तो आपको कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी है।

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ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे किसी से भी आंख मिला कर बात नही कर पाते। उनका व्यवहार स्वाभाविक नही होता है। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे किसी की बात पर ध्यान नही देते और हर किसी की बात को अनसुना करते है। साथ ही वह हमेशा डरे हुए से रहते हैं। यदि किसी बच्चें में यह सभी लक्षण दिखते है तो उस बच्चे को शीघ्र ही डाॅक्टर के पास ले जाना चाहिए। साथ ही अपने बच्चे के खान-पान, रहन-सहन का विशेष ध्यान दें। बच्चे के हर क्रियाकलापों पर अपनी नजर रखें।