Diwali Laksmi-Ganesh Puja 2024: दीपावली 5 त्योहारों का मिलन है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। दीपावली का पर्व हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस साल दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। इस पांच दिवसीय महापर्व की शुरूआत धनतेरस से होती है।
इसके साथ-साथ नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी-गणेश पूजा, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे त्योहार पड़ते हैं। दीपावली के दिन शाम के समय माता लक्ष्मी और गणेश जी की एक-साथ पूजा की जाती है। दिवाली के दिन भगवान गणेश के बिना लक्ष्मी जी की पूजा नहीं की जाती है। इसका क्या कारण है, आइए जानते हैं….
पौराणिक कथा- भगवान विष्णु ने तोड़ा मां लक्ष्मी का अहंकार
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी वैकुंठ में चर्चा कर रहे थे। तभी मां लक्ष्मी देवी ने भगवान विष्णु कहा, मैं धन, समृद्धि, सौभाग्य, ऐश्वर्य प्रदान करती हूं। मेरी कृपा से भक्त को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। इसलिए मेरी पूजा करना सर्वोत्तम है। देवी लक्ष्मी की बातों में अहंकार था, जिसे विष्णु जी ने भांप लिया और उनका अहंकार तोड़ने का निश्चय किया। तब भगवान ने कहा- हे देवी! आप सर्वश्रेष्ठ हैं लेकिन फिर भी आपमें पूर्ण नारीत्व नहीं है। क्योंकि जब तक स्त्री को मातृत्व का सुख प्राप्त नहीं होता, तब तक उसका नारीत्व अधूरा माना जाता है।
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Diwali 2024: भगवान गणेश ऐसे बने मां लक्ष्मी के दत्तक पुत्र
शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु के ऐसे वचन सुन माता लक्ष्मी दुखी हो गईं और उन्होंने माता पार्वती को पूरी बात बताई। तब माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश को दत्तक पुत्र के रूप में लक्ष्मी जी को सौंप दिया, जिससे माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुईं। माता लक्ष्मी ने कहा कि किसी भी भक्त को धन, संपदा, सफलता, समृद्धि तभी मिलेगी जब लक्ष्मी-गणेश की एक साथ पूजा की जाएगी। तभी से दिवाली के दिन भगवान गणेश की पूजा लक्ष्मी जी के साथ उनके दत्तक पुत्र के रूप में की जाती है।
Diwali 2024: इसलिए लक्ष्मी-गणेश की एक साथ होती है पूजा
शास्त्रों में मां लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी कहा गया है। वहीं भगवान गणेश को बुद्धि और विवेक का देवता कहा गया है। मां लक्ष्मी की कृपा से भक्तों को धन और समृद्धि का सुख तो मिलता है, लेकिन बुद्धि और विवेक के बिना वह इसे संभाल नहीं पाते।
इसलिए दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा एक साथ की जाती है, ताकि मनुष्य को धन की प्राप्ति हो और अपनी विवेका का प्रयोग करके सही जगह पर धन संचय कर सके।