Saturday, November 23, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeआस्थाDevuthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भद्रा का साया, जानें तुलसी विवाह...

Devuthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भद्रा का साया, जानें तुलसी विवाह व पूजा का शुभ मुहूर्त

Devuthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रीहरि भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन से सभी शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर यानी दिन मंगलवार को रखा जा रहा है। दरअसल, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने के लिए सो जाते हैं और योग निद्रा में चले जाते हैं जिसके कारण शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं।

श्री हरि भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन उठते हैं और इस दिन से सभी शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। देव जागरण या देव उत्थान होने के करण इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। देवउठनी एकादशी साल की सबसे बड़ी एकादशियों में से एक है। आज भगवान शालिग्राम और तुलसी माता का विवाह भी है। साथ ही आज भद्रा काल का साया भी रहेगा। इसलिए इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य न करें।

Devuthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी शुभ मुहूर्त

इस साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि मंगलवार 11 नवंबर 2024 को शाम 6:46 बजे से शुरू होकर अगले दिन 12 नवंबर 2024 को शाम 4:04 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर मंगलवार को रखा जाएगा। ऐसे में व्रत का पारण 13 नवंबर को सुबह 6:42 बजे से 8:51 बजे तक किया जा सकेगा।

Devuthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर आज भद्रा का साया

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार देवउठनी एकादशी के दिन सुबह भद्रा का साया मंडरा रहा है। 12 नवंबर 2024 को मृत्युलोक में भद्रा का साया सुबह 06:33 बजे से शाम 4 बजकर 4  मिनट तक रहेगा। यही कारण है कि कोई भी अनुष्ठान या तुलसी शालिग्राम विवाह भद्रा काल के खत्म होने के बाद ही मनाया जाएगा। वैसे तो तुलसी-शालिग्राम विवाह उत्सव का क्रम पूर्णिमा तक जारी रहेगा।

देवउठनी एकादशी का महत्व

कहा जाता है कि देवउठनी एकादशी के दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु 4 महीने के बाद योग निद्रा से जाग जाते हैं और पुनः अपना कार्यभार संभालते हैं, इस दिन भगवान शालिग्राम और माता तुलसी के विवाह का भी प्रावधान है। हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु जी योग निद्रा में चले जाते हैं, जिसे हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं।

हरिशयनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। परिणामस्वरूप विवाह आदि के लिए शुभ योगों और मुहूर्तों का अभाव है। तब से लेकर प्रबोधिनी एकादशी यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि, मंगलवार, 12 नवंबर 2024 तक विवाह आदि के शुभ मुहूर्त समाप्त हो गए। अब प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की विधिवत पूजा कर उन्हें योग निद्रा से जगाया जाएगा।

ये भी पढ़ेंः- Panchang 12 November 2024: मंगलवार 12 नवंबर 2024 का पंचांग, जानें विशेष पर्व एवं राहुकाल

Devuthani Ekadashi 2024: ऐसे करें देवउठनी एकादशी की पूजा

 कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। उस दिन व्रत रखकर गहरी नींद में सो रहे भगवान श्री हरि विष्णु को गीत आदि शुभ उत्सवों द्वारा जगाना चाहिए। उस दिन ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद के विभिन्न मंत्रों और विभिन्न प्रकार के अनुष्ठानों द्वारा भगवान श्री हरि विष्णु को जगाना अत्यंत पुण्यदायी होता है।

भगवान को गन्ना, अनार, अंगूर, केला, सिंघाड़ा आदि अर्पित करना चाहिए। तत्पश्चात रात्रि बीत जाने पर अगले दिन प्रातः स्नानादि नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पुरुष सूक्त के मंत्रों द्वारा भगवान गदा दामोदर का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए। तत्पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा देकर संतुष्ट करना चाहिए तथा उन्हें विदा करना चाहिए। इसके पश्चात आचार्य से आशीर्वाद लेना चाहिए। इस प्रकार जो मनुष्य श्रद्धा और भक्तिपूर्वक प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करता है, वह परम पुण्य और अक्षय धन को प्राप्त करता है तथा इस लोक में उत्तम सुखों का भोग करता है और अंत में वैष्णो पद को प्राप्त करता है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें