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तालिबान के आश्वासन के बावजूद चीन को अफगान आतंकी संगठनों से खतरा

Beijing : Xi Jinping gave a speech at the Central Party School.
Beijing : Xi Jinping gave a speech at the Central Party School.

नई दिल्लीः चीन, जिसने आधिकारिक तौर पर यह घोषणा कर दी है कि वह अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता देने का इच्छुक है, बलूचिस्तान के ग्वादर इलाके में बम विस्फोट के बाद चिंतित जरूर होगा। विस्फोट, जिसमें दो की मौत हो गई और कुछ घायल हो गए, चीनी लोगों को लक्षित करते हुए किया गया था। तालिबान ने चल रही बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की रक्षा और समर्थन करने का वादा किया है, मगर वर्तमान घटनाक्रम को देखते हुए उनके किसी भी आश्वासन पर इतनी जल्दी भरोसा नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, अफगानिस्तान में कई अन्य आतंकी समूह भी सक्रिय हैं।

कई विश्लेषकों ने माना है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी से चीन को अपने भारी निवेश के साथ, इस क्षेत्र की राजनीतिक रूपरेखा पर हावी होने के लिए एक बढ़त मिलेगी। हालांकि बीजिंग के लिए रोडमैप आसान नहीं होगा। चीन, जो पहले तालिबान को ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट - एक उइगर आतंकवादी समूह से जोड़ता था, ने कहा है कि वह नई अफगानिस्तान सरकार के साथ काम करेगा। इस प्रकार से अन्य आतंकी संगठनों की मौजूदगी से चीन के लिए चीजें मुश्किल हो जाएंगी।

इन आतंकी समूहों पर तालिबान का बहुत कम नियंत्रण होगा और अफगानिस्तान में मौजूदा राजनीतिक अराजकता से क्षेत्र में निश्चित रूप से सुरक्षा स्थिति से समझौता हुआ है। ईराक में इस्लामिक स्टेट एंड द लेवेंट-खोरासन (आईएसआईएल-के) और उइगर ईस्टर्न तुर्किस्ता इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) - एक उइगर आतंकवादी समूह - देश में अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहा है। इसके अलावा तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की मौजूदगी भी बीजिंग के लिए चिंता का विषय है।

अप्रैल में, टीटीपी ने क्वेटा में एक आलीशान होटल पर हमला किया था। वहां पर एक बम विस्फोट हुआ था, जिसमें पांच लोग मारे गए थे। रिपोटरें में कहा गया है कि हमला पाकिस्तान में चीनी राजदूत को टारगेट करने के उद्देश्य से किया गया था, हालांकि वह विस्फोट के समय होटल में मौजूद नहीं थे।

एक विदेश नीति विश्लेषक, जो अफगानिस्तान में हैं, ने इंडिया नैरेटिव को बताया, "कोई नहीं कह सकता कि अफगानिस्तान की स्थिति से चीन कैसे प्रभावित होगा। हालांकि चीन अपने हितों से प्रेरित है और वह तालिबान के साथ काम करने के लिए तैयार होगा, वहां अन्य तत्व और कई अन्य आतंकवादी संगठन काम कर रहे हैं, जो बीजिंग के लिए चिंता का कारण बनेंगे।" चीन के लिए, 60 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को राजनयिक द्वारा 'बीजिंग के विशाल बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का मुकुट रत्न' के रूप में वर्णित किया गया है। यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल यूरेशिया और अफ्रीका को जोड़ता है बल्कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि चीन के लिए सीपीईसी भारतीय हितों को कमजोर करेगा।

बहुप्रतीक्षित बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा, 60 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को लेकर चीन के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। विश्लेषक ने कहा कि ऐसी अनिश्चित स्थितियां आतंकी गतिविधियों के लिए 'खुशहाल प्रजनन आधार' हैं। राजनयिक ने कहा, "वर्षों से, अफगानिस्तान के साथ अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य कार्रवाइयों के माध्यम से, पाकिस्तानी सेना ने टीटीपी तत्वों को देश से बाहर और अफगानिस्तान में धकेल दिया है। टीटीपी संचालन और समर्थन के लिए अफगान धरती का उपयोग कर रहा है।"

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आतंकी संगठन अपनी गतिविधियों के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करेंगे। बता दें कि चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने हाल ही में एक प्रेस ब्रीफिंग में तालिबान 2.0 को अपने पिछले अवतार की तुलना में 'अधिक स्पष्ट नेतृत्व और तर्कसंगत' बताया था।

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