Home उत्तर प्रदेश KGMU की जांच रिपोर्ट पर भड़के डिप्टी सीएम, दोबारा जांच के आदेश

KGMU की जांच रिपोर्ट पर भड़के डिप्टी सीएम, दोबारा जांच के आदेश

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लखनऊः किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के लॉरी कार्डियोलॉजी विभाग में पिछले दिनों वेंटिलेटर की कमी के कारण एक मरीज की मौत के मामले में जांच पूरी हो गई है, लेकिन अब स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने ही इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें मरीज इलाज के लिए हाथ जोड़ते हुए वेंटिलेटर की मांग करता दिखाई दे रहा था, लेकिन उसे यह सुविधा नहीं मिल पाई।

KGMU मामलाः अभी तक रिपोर्ट में क्या खुलासा

जांच रिपोर्ट में आरोपी डॉक्टर को क्लीन चिट दी गई है, लेकिन डिप्टी सीएम ने कहा है कि रिपोर्ट में कई अहम सवालों के जवाब नहीं मिल पाए हैं। उन्होंने विशेष रूप से यह सवाल उठाया कि जब केजीएमयू के अन्य विभागों में वेंटिलेटर बेड खाली थे, तो मरीज को दूसरी जगह रेफर क्यों किया गया ? उन्होंने फिर से जांच के आदेश दिए हैं और कहा कि इस मामले में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। रिपोर्ट के अनुसार, मरीज अबरार को अचानक तबियत बिगड़ने पर लारी कार्डियोलॉजी लाया गया था। वहां के ऑन ड्यूटी रेजिडेंट डॉक्टर सिद्धार्थ ने मरीज की हालत को स्थिर करने के लिए शुरुआत में इलाज किया। मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे वेंटिलेटर पर शिफ्ट करने की सलाह दी गई, लेकिन लॉरी में कोई वेंटिलेटर बेड खाली नहीं था इसलिए परिजनों से लोहिया संस्थान में बात की गई, जहां बेड उपलब्ध था।

इसके बाद मरीज को शिफ्ट करने के लिए एम्बुलेंस बुलाई गई। इस मामले में केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. केके सिंह ने कहा कि मरीज को इंजेक्शन देने के बाद खून की उल्टी होने की बात गलत है। उनका कहना था कि लॉरी में तैनात डॉक्टरों की टीम में काबिल और अनुभवी चिकित्सक हैं, जो प्रतिदिन मरीजों की जान बचाने के कार्य में जुटे रहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वेंटिलेटर की कमी के बावजूद मरीज को सही समय पर इलाज दिया गया था।

डिप्टी सीएम ने दोबारा जांच के दिए आदेश

यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने जांच रिपोर्ट को खारिज कर एक बार पुनः जांच के निर्देश जारी कर दिए हैं। उनका कहना है कि पहले दी गई जांच रिपोर्ट में कई सवालों के जवाब नहीं मिल रहे हैं। एक बार फिर से जांच के आदेश देने में मामले में डिप्टी सीएम का कहना है कि इस गंभीर मामले में हर पहलू की निष्पक्ष और सही से जांच हो सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं से सीख लेकर बचा जा सके। जांच टीम के मुताबिक, घटना की जांच में मरीज के परिवार, अन्य तीमारदारों, उपचाररत डॉक्टर और वॉर्ड अटेंडेंट के बयान दर्ज किए गए। डॉक्टर से मरीज को दिए गए उपचार और दवाओं की जानकारी ली गई। मरीज के पिछले मेडिकल रिकॉर्ड की भी जांच की गई, जिसमें पता चला कि सात साल पहले उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी और तब से वे नियमित रूप से फॉलो-अप के लिए नहीं आए थे।

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जांच रिपोर्ट के अनुसार, मरीज के परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया और वेंटिलेटर की मांग की। बाद में वे मरीज को लेकर अस्पताल से चले गए और रास्ते में मरीज की मृत्यु हो गई। हालांकि, परिजनों का दावा है कि मरीज की मृत्यु अस्पताल में हुई थी, जिसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इस मामले की जांच के लिए कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने एक तीन सदस्यीय टीम का गठन किया था, जिसका नेतृत्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बीके ओझा ने किया था। टीम में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुरेश कुमार और केजीएमयू की रजिस्ट्रार अर्चना गहरवार भी शामिल थीं।

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