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ईवीएम और बैलट पेपर पर उम्मीदवारों की फोटो लगाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम और बैलट पेपर पर राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों की बजाय उम्मीदवारों की उम्र, योग्यता और उसकी फोटो लगाने की मांग करने वाली याचिका के याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को निर्देश दिया है कि वे याचिका की प्रति अटार्नी जनरल को उपलब्ध कराएं। कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया।

भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि ईवीएम मशीन और बैलट पेपर पर राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों की बजाय उम्मीदवारों की उम्र, योग्यता और फोटो लगाने का दिशानिर्देश जारी किया जाए। याचिका में कहा गया है कि संविधान की धारा 14, 15 और 21 चुनाव में खड़े सभी उम्मीदवारों को बराबर अवसर देता है। चुनाव के दौरान ईवीएम पर पार्टी का चुनाव चिह्न देना संविधान का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि करीब 43 फीसदी सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। 2014 में हुए चुनाव में 542 जीते हुए सांसदों में से 185 सांसदों ने ये स्वीकार किया था कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं। 2009 के चुनाव के बाद 543 सांसदों में से 162 सांसदों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों का लंबित होना स्वीकार किया था। याचिका में कहा गया है कि ऐसी स्थिति की वजह ईवीएम पर राजनीतिक दलों का चुनाव चिह्न अंकित होना है।

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याचिका में कहा गया है कि बैलट पेपर और ईवीएम पर राजनीतिक दलों का चुनाव चिह्न होने से मतदाताओं में भ्रम पैदा होता है और वे गलत व्यक्ति को भी अपना मत दे देते हैं। याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बंधक बना लिया है और वे काले धन और बेनामी संपत्तियों के लेन-देन में लिप्त हो गए हैं। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता को याचिका की एक प्रति अटार्नी जनरल को उपलब्ध कराने के आदेश दिए है। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया है।

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