नई दिल्लीः देश की राजधानी में तीन साल पहले यानी 2020 में हुए दंगों (Delhi Riots) के 9 आरोपियों को दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को बारी कर दिया है। इन आरोपियों पर 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान दंगा, आगजनी और अन्य अपराधों का आरोप था। कड़कड़डूमा कोर्ट ने इन्हें संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। इसके अलावा आरोपियों से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी जुटाने में पुलिस द्वारा देरी भी शामिल है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि शाहरुख पठान का बयान कानून के तहत स्वीकार्य नहीं है। पुलिस के मुताबिक दंगों के दौरान शाहरुख पठान ने पुलिस कांस्टेबल दीपक दहिया पर पिस्तौल तानी थी।
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दिल्ली में 2020 में हुए दंगों (Delhi Riots) के दौरान उन पर पुलिस ने IPC की धारा 147-149, 188, 427 और 436 के तहत दंडनीय अपराध करने के लिए चार्जशीट बनाई थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा – मेरा मानना है कि हेड कांस्टेबल विपिन की एकमात्र गवाही भीड़ में आरोपी व्यक्तियों की उपस्थिति का अनुमान लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है, जिसने चमन विहार में शिकायतकर्ता की सम्पत्ति को आग लगा दी थी। ऐसे में स्थिति में आरोपियों को संदेह का लाभ दिया जाता है। बरी हुए लोगों में शाहरुख पठान, मो. शाहनवाज उर्फ शानू, मो. शोएब उर्फ छुटवा, अशरफ अली, परवेज,आजाद, मो. फैसल, राशिद उर्फ मोनू व राशिद उर्फ राजा शामिल हैं । जज ने कहा कि भले ही विपिन हर दिन जांच अधिकारियों के साथ पुलिस स्टेशन में ब्रीफिंग में शामिल होते थे, लेकिन उन्होंने औपचारिक रूप से इसे कहीं भी रिकॉर्ड नहीं किया।
कोर्ट ने स्वीकार किया कि पुलिस स्टेशन में हर रोज एक ब्रीफिंग होती थी, जिसमें उनके साथ-साथ IO भी शामिल होते थे। फिर भी, आरोपी व्यक्तियों की संलिप्तता के बारे में जानकारी नहीं थी। 7 अप्रैल 2020 तक औपचारिक रूप से कहीं भी रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि कोर्ट ने उल्लेख किया कि विपिन ने कहा था कि उसने करीब 15 दिनों के दंगों के बाद मौखिक रूप से अपने वरिष्ठ अफसरों को अपने साथ महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में सूचित किया था।
अदालत ने कहा इस गवाह द्वारा वरिष्ठ अफसरों को ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी देने में इतनी देरी के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। कोर्ट ने कहा, अगर वास्तव में ऐसी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई थी, तो अफसरों ने ऐसी जानकारी दर्ज क्यों नहीं कराई। महत्वपूर्ण सूचनाओं के प्रकटीकरण में इस तरह की देरी को ध्यान में रखते हुए, मुझे मामले में भी एक से अधिक गवाहों की लगातार गवाही के परीक्षण को लागू करना वांछनीय लगता है। कोर्ट ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए कहा -एकमात्र गवाही पर्याप्त नहीं हो सकती कि भीड़ में आरोपी व्यक्तियों की उपस्थिति थी, जिसने चमन विहार में सम्पत्ति को आग लगा दी थी। ऐसी स्थिति में आरोपी व्यक्तियों को संदेह का लाभ दिया जाता है।
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