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कोरोना की तीसरी लहर के बीच फिर आया चर्चा में दिल्ली गेट कब्रिस्तान, यह है मामला

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नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर के बीच एक बार फिर से दिल्ली गेट कब्रिस्तान नाम से प्रसिद्ध जदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम आईटीओ काफी चर्चा में है। इस बार यह कब्रिस्तान प्रबंधन कमेटी के जरिए लिए गए एक फैसले की वजह से चर्चा में आया है। प्रबंधन कमेटी ने फैसला लिया है कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत यहां पर अब सिर्फ पुरानी दिल्ली के मुर्दों को ही दफन किया जाएगा। इसके अलावा अन्य किसी स्थान या अस्पताल आदि से आने वाली मय्यत को यहां पर दफन नहीं किया जाएगा।

प्रबंधन कमेटी ने अपने फैसले से दिल्ली वक्फ बोर्ड को अवगत करा दिया है। कमेटी के इस फैसले का विरोध करते हुए दिल्ली बोर्ड के एक सदस्य मसरूर हसन सिद्दीकी ने उपराज्यपाल से इसकी लिखित शिकायत की है। उनका कहना है कि कमेटी का यह फैसला न्यायोचित नहीं है। यह कब्रिस्तान सभी के लिए है और यहां पर सभी लोगों की मय्यत दफन होनी चाहिए। यहां पर किसी की भी मय्यत को दफन करने के लिए प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान कमेटी की तरफ से 5 एकड़ भूमि कोविड-19 के मुर्दों को दफन करने के लिए अलग से चिन्हित की गई थी जिसमें बताया जाता है कि उस दौरान लगभग 1,350 मुर्दों को यहां पर दफन किया गया है। इसकी वजह से यहां पर अब मुर्दों को दफन करने के लिए जगह नहीं बची है। इसी को ध्यान में रखते हुए कमेटी ने यह सख्त फैसला लिया है। कमेटी के सेक्रेटरी हाजी मुन्ने ने बताया है कि यह कब्रिस्तान पुरानी दिल्ली वालों के लिए है और यहां पर पुरानी दिल्ली के लोगों के मुर्दे दफन किए जाते हैं।

कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान दिल्ली भर से यहां पर मुर्दे लाकर दफन किए गए हैं जिसकी वजह से यहां पर अब खाली जगह नहीं बची है। उनका कहना है कि थोड़ी बहुत जो जगह बची है, वह पुरानी दिल्ली के लोगों के लिए रखी गई है। उन्होंने बताया कि दिल्लीभर में 100 से अधिक कब्रिस्तान मौजूद हैं लेकिन स्थानीय लोगों के दबाव की वजह से वहां पर कोविड-19 से मरने वाले मुर्दों को दफन नहीं करने दिया गया था। यह मामला कानून व्यवस्था का है। सरकार और पुलिस को इसे देखना चाहिए। सरकार और पुलिस को दिल्लीभर में फैले इन कब्रिस्तान में कोविड-19 से मरने वाले मुर्दों को दफन कराने का इंतजाम करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि दिल्ली वक्फ बोर्ड ने भी तीसरी लहर की संभावनाओं के बीच सभी जिला अधिकारियों और अस्पतालों को एक पत्र भेजकर सूचित किया है कि कोविड-19 से मरने वाले मुर्दों को दिल्ली गेट कब्रिस्तान के बजाय मिलेनियम पार्क स्थित कब्रिस्तान में दफन के लिए ले जाया जाए। हाजी मुन्ना ने बताया कि मिलेनियम पार्क स्थित 4 एकड़ भूमि पर कब्रिस्तान मौजूद है लेकिन वहां पर मुर्दों को दफन करने से रोका जा रहा है और पुलिस भी इस मामले में कुछ नहीं कर रही है। यह कब्रिस्तान भी हमारी कमेटी के प्रबंधन में है और वहां की सारी व्यवस्था हमारी कमेटी ही संभालती है। इसलिए हम चाहते हैं कि सरकार मिलेनियम पार्क कब्रिस्तान में कोविड-19 से मरने वाले मुर्दों को दफन कराने की व्यवस्था करे।

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उन्होंने बताया कि कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान दिल्ली में जितनी भी मौत हुई है, उसके 90 प्रतिशत मुर्दों को इसी कब्रिस्तान में दफन किया गया है। इसकी वजह से इस कब्रिस्तान मे अब खाली जगह नहीं बची है। इसीलिए हमें यह सख्त फैसला लेना पड़ा है।

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