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दिल्ली के 3.75 लाख बच्चों ने छोड़ा प्राइवेट स्कूल, लिया सरकारी स्कूलों में एडमिशन

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नई दिल्लीः दिल्ली सरकार के मुताबिक इस साल 3.75 लाख लोगों ने अपने बच्चों ने अपने नाम प्राइवेट स्कूलों से कटवा कर उन्हे दिल्ली के सरकारी स्कूलों में भर्ती करवाया है। इसके साथ ही अब दिल्ली के सभी 30 स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस को डॉ. भीम राव अंबेडकर के नाम पर समर्पित किया गया है। अंबेडकर जयंती पर 14 अप्रैल को यह कार्य किया गया। दिल्ली सरकार ने इन स्कूलों में अत्याधुनिक पाठ्यक्रम विकसित करने, नए जमाने के आकलन डिजाइन करने और कुशल प्रशिक्षक प्रदान करने के लिए कई विश्व-प्रसिद्ध संस्थानों के साथ भागीदारी भी की है। जिसमें आईआईटी दिल्ली, टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, निफ्ट दिल्ली, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, वैश्विक संगीत संस्थान, मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, विद्यामंदिर क्लासेस शामिल है।

छात्रों को उद्योगों के फील्ड ट्रिप के साथ-साथ प्रख्यात उद्योग पेशेवरों से मास्टर क्लास, कार्यशालाएं और अतिथि व्याख्यान भी प्रदान किए जाते हैं। इन स्कूलों में विभिन्न अभिनव प्रयोग किए गए हैं, जैसे डिजिटल टैबलेट आधारित आंकलन, क्रोमबुक के माध्यम से शिक्षण आदि। शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए प्रवेश प्रक्रिया फरवरी में शुरू हुई थी। इन 30 स्कूलों में करीब 4,600 सीटों के लिए 79,513 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिसमें योग्यता परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या 62,438 थी। प्रवेश परीक्षा के परिणाम इसी महीने घोषित किए जाएंगे।

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले 75 साल में सरकारी स्कूलों को जानबूझकर और खराब से खराब किया गया। हम लोगों ने सबके सहयोग से सिर्फ 5 साल में दिल्ली के सरकारी स्कूलों शानदार बना दिया। अब राजनीति के अंदर स्कूलों की बात होने लगी है। आपस में कंपटीशन होने लगा है। अब जो नया राजनीति का नैरेटिव है, वह धीरे-धीरे शिक्षा और स्वास्थ्य की ओर शिफ्ट हो रहा है। वहीं, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमें गर्व है कि हम बाबा साहब के विजन को अपने माइंडसेट करिकुलम के माध्यम से पूरा करने का काम कर रहे हैं।

दिल्ली के खिचड़ीपुर स्थित स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस में आयोजित एक समारोह में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के सभी 30 स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस को बाबा साहब के नाम समर्पित किया। अभी तक इन स्कूलों को स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब यह स्कूल डॉ. बी.आर. अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस के नाम से जाने जाएंगे।

केजरीवाल ने कहा कि बाबा साहब अंबेडकर एक बहुत गरीब घर में पैदा हुए थे। घर में खाने के लिए भी रोटी नहीं थी। उन दिनों में बहुत ज्यादा छुआछूत थी। वो स्कूल जाते थे, तो उस जाति के लोगों को क्लास के बाहर बैठा दिया जाता था। उस पृष्ठभूमि से आकर वो 1913-14 में पीएचडी करने के लिए कोलंबिया यूनिवर्सिटी गए। उसके बाद लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से दूसरी डॉक्टरेट की डिग्री ली। उन्होंने उन दिनों में विदेशी यूनिविर्सिटी से दो-दो डॉक्टरेट की। मैं सोचता हूं कि आज के जमाने में भी जब हमारे पास सारे साधन है, सब कुछ है। फिर भी लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में एडमिशन लेना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। 1913-14 में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में न केवल एडमिशन लिया है, बल्कि स्कॉलरशिप ली और वहां से पढ़ाई करके आए।

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सीएम ने कहा कि जब हमारी सरकार बनी, तब हमारे पास दो मॉडल थे। उस दौरान कई लोग आकर कहते थे कि आप एक कानून पास कर दो कि अधिकारियों, मंत्रियों और नेताओं के बच्चों को सरकारी स्कूल में डलवाया जाए। अगर सारे अधिकारियों और मंत्रियों के बच्चे सरकारी स्कूल में जाने लगेंगे, तो ये स्कूल अपने आप ही ठीक हो जाएंगे। तब मैंने कहा कि हम यह मॉडल लागू नहीं करेंगे। हम दूसरा मॉडल लागू करेंगे। हम सरकारी स्कूलों को ही इतना अच्छा बना देंगे कि ये सारे लोग अपनी इच्छा से अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजना चालू करेंगे। जब हमने यह सोचा था और इस इसको लागू किया, तब हमें उम्मीद नहीं थी कि हम पांच साल की सरकार में इतनी जल्दी यह हासिल कर पाएंगे। आज हमारे कई विधायक ऐसे हैं, जिनके बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। वह हमने उनपर दबाव नहीं डाला, बल्कि वे अपनी इच्छा से सरकारी स्कूल में अपने बच्चे पढ़ा रहे हैं। मैं कई वकीलों को जानता हूं, जिनके पास खूब पैसा है। वो अपने बच्चों को अपनी इच्छा से सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे हैं। इस साल 3.75 लाख बच्चों ने अपने नाम प्राइवेट स्कूलों से कटवा कर सरकारी स्कूलों में भर्ती करवाया है।

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