नई दिल्लीः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए लंबे समय तक रक्षा हथियारों के आयात पर निर्भर नहीं रह सकता है। आज हम किसी भी ऐसे युद्ध की कल्पना नहीं कर सकते जिसमें तकनीक की भूमिका न हो। उन्होंने भारतीय वायु सेना को ‘एयरोस्पेस फोर्स’ बनने और देश को भविष्य की चुनौतियों से बचाने के लिए तैयार रहने का आह्वान किया है।
रक्षा मंत्री गुरूवार को वायु सेना संघ की ओर से आयोजित 37वें एयर चीफ मार्शल पीसी लाल स्मृति व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। वायु सेना सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ 1971 का युद्ध न केवल सशस्त्र बलों के बीच, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के बेहतरीन उदाहरणों में से एक है। इस समय सशस्त्र बलों के एकीकरण की चल रही प्रक्रिया का उद्देश्य न केवल तीनों सेनाओं की संयुक्त क्षमता, बल्कि हमारी युद्धक क्षमता को भी आगे बढ़ाना है। अगर हम पिछले कुछ समय में सीरिया, इराक, अफगानिस्तान और वर्तमान में जारी रूस-यूक्रेन संघर्ष का बारीकी से विश्लेषण करें तो हम भविष्य के युद्ध के स्वरूप का आकलन कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हमें सोचना होगा कि आने वाले समय में यानी बदलते युद्ध के लिए क्या हम पूरी तरह तैयार हैं। युद्ध कब और किस रूप में हमारे सामने आ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। हमारे विरोधी अंतरिक्ष के सैन्य उपयोग की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, जिसका निश्चित हमारे हितों पर विपरीत असर पड़ने की संभावना है। तकनीक नि:संदेह सेनाओं को मजबूत बनाती है, मगर नई टेक्नोलॉजी वाले हथियार इकट्ठा कर लेना किसी को जीत दिलाने की गारंटी नहीं बन सकते। अधिक महंगे हथियार युद्धों में हमें सिर्फ बढ़त दिला सकते हैं। हमें यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि कोई भी राष्ट्र केवल आयात के आधार पर मजबूत नहीं बन सकता, कोई भी राष्ट्र केवल उधार ली हुई क्षमताओं के आधार पर एक सीमा से आगे प्रगति नहीं कर सकता।
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रक्षा मंत्री ने भरोसा दिलाया कि हम न केवल अपनी सुरक्षा पूरी तरह सुनिश्चित कर रहे हैं बल्कि पूरे क्षेत्र में हम प्रमुख जवाबदेह के तौर पर उभर कर सामने आए हैं। यह सेनाओं के संयुक्त योगदान के कारण संभव हो सका है। ऐसे में आत्मनिर्भरता न केवल घरेलू क्षमता निर्माण, बल्कि हमारी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।
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