नई दिल्ली: इस वर्ष का अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार तीन अर्थशास्त्रियों- डेविड कार्ड, जोशुआ डी. एंग्रिस्ट और गुइडो डब्ल्यू इम्बेन्स को संयुक्त रूप से दिया गया है। तीनों के प्रयासों से श्रम बाजार के बारे में हमारी समझ बेहतर हुई है और मेडिकल क्षेत्र की ही तरह क्लीनिकल ट्रायल जैसे प्रयोग कर निष्कर्ष की ओर जाने की प्रवृति बनी है।
रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने अल्फ्रेड नोबेल 2021 की स्मृति में अर्थशास्त्र में सेवरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार के लिए इन तीनों को चुना है। समिति के अनुसार तीनों अर्थशास्त्रियों ने श्रम बाजार के बारे में हमारी समझ को बेहतर किया है और बताया है कि कारण एवं प्रभाव का निष्कर्ष स्वभाविक शोध से प्राप्त किया जा सकता है। उनके तरीके ने अन्य क्षेत्रों में प्रयोग आधारित शोध क्षेत्र में क्रांति ला दी है।
नोबेल समिति के अनुसार कारण और प्रभाव का अध्य्यन कर निष्कर्ष तक पहुंचना उन स्थितियों में आसान नहीं होता जहां तुलना करने के लिए कुछ न हो। उदाहरण के लिए पलायन से श्रम स्तर और वेतन पर असर या फिर ज्यादा समय तक पढ़ाई का भविष्य के वेतन पर असर। इन अर्थशास्त्रियों ने स्वभाविक शोध के तरीकों से संभव कराया है।
प्राकृतिक प्रयोगों का उपयोग करते हुए डेविड कार्ड ने न्यूनतम मजदूरी, अप्रवास और शिक्षा के श्रम बाजार प्रभावों का विश्लेषण किया है। 1990 के दशक की शुरुआत से उनके अध्ययन ने पारंपरिक ज्ञान को चुनौती दी, जिससे नए विश्लेषण और अतिरिक्त अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई। अब हम जानते हैं कि किसी देश में पैदा हुए लोगों की आय नए अप्रवास से लाभान्वित हो सकती है, जबकि जो लोग पहले के समय में अप्रवासन करते हैं वे नकारात्मक रूप से प्रभावित होने का जोखिम उठाते हैं। हमने यह भी महसूस किया है कि स्कूलों में संसाधन छात्रों के भविष्य के श्रम बाजार की सफलता के लिए पहले की तुलना में कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।
प्राकृतिक प्रयोग के डेटा की व्याख्या करना मुश्किल है। उदाहरण के लिए, छात्रों के एक समूह (लेकिन दूसरे के लिए नहीं) के लिए अनिवार्य शिक्षा को एक वर्ष तक बढ़ाने से उस समूह के सभी लोगों पर समान प्रभाव नहीं पड़ेगा। कुछ छात्र वैसे भी पढ़ते रहे होंगे और उनके लिए शिक्षा का मूल्य अक्सर पूरे समूह का प्रतिनिधि नहीं होता है। तो, क्या स्कूल में एक अतिरिक्त वर्ष के प्रभाव के बारे में कोई निष्कर्ष निकालना संभव है? 1990 के दशक के मध्य में, जोशुआ एंग्रिस्ट और गुइडो इम्बेन्स ने इस पद्धतिगत समस्या को हल किया, यह प्रदर्शित करते हुए कि प्राकृतिक प्रयोगों से कारण और प्रभाव के बारे में सटीक निष्कर्ष कैसे निकाला जा सकता है।
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डेविड कार्ड 1956 में कनाडा में जन्मे थे। उन्होंने प्रिंस्टन विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि ली। वे कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। जोशुआ डी एंग्रिस्ट, 1960 में ओहियो अमेरिका में पैदा हुए। प्रिंस्टन विश्वविद्यालय से उन्होंने 1989 में पीएचडी की उपाधि ली।। वे मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान कैम्ब्रिज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। गुइडो डब्ल्यू इम्बेन्स 1963 में नीदरलैंड के आइंडहोवन में पैदा हुए। पीएचडी उन्होंने 1991 में अमेरिका की ब्राउन विश्वविद्यालय, प्रोविडेंस से की। वह स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। पुरस्कार राशि 10 मिलियन स्वीडिश क्रोनर का 50 प्रतिशत डेविड कार्ड और शेष 50 प्रतिशत संयुक्त रूप से जोशुआ एंग्रिस्ट और गुइडो इम्बेन्स को दिया जाएगा।
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