नयी दिल्ली: भारत में साइबर सुरक्षा जोखिमों के कारण कम से कम 64 प्रतिशत कारोबार नये आईटी और कारोबारी परियोजनाओं को शुरू नहीं कर पाये। साइबर सिक्योरिटी कंपनी कैस्परस्काई के मुताबिक कंपनियां साइबर सुरक्षा जोखिमों से खुद को निपटने में अक्षम पाकर नयी परियोजनाओं को शुरू नहीं कर पाती हैं। वे ऐसा समाधान नहीं तलाश कर पाती हैं, जिससे परियोजना में उनका प्रदर्शन और रखरखाव संबंधी या अन्य कोई मसला न खड़ा हो।
कैस्पर स्काई की रिपोर्ट के मुताबिक साइबर सुरक्षा जोखिम के कारण सर्वाधिक यानी 52 प्रतिशत नये आईटी सॉल्यूशंस लागू नहीं किये गये। इसके बाद 50 फीसदी कॉरपोरेट नीति में बदलाव इसी वजह से नहीं किया गया। साइबर सुरक्षा जोखिम की वजह से 49 प्रतिशत नयी कारोबारी परियोजनाओं की लॉचिंग नहीं हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 81 प्रतिशत यानी हर चार में तीन कंपनी को समुचित साइबर सुरक्षा समाधान नहीं मिल पाया।
कई कारणों के कारण प्रोटेक्शन टूल अधिक कारगर नहीं हो पाते और इनमें अक्सर प्रदर्शन संबंधी या रख-रखाव संबंधी दिक्कतें आती हैं। कैस्परस्काई के महाप्रबंधक (दक्षिण एशिया) दीपेश कौरा के मुताबिक भारतीय बाजार में एक करोड़ से अधिक 5जी अनुकूल उपकरण मौजूद हैं और 5जी नेटवर्क भी लॉन्च होने के अंतिम चरण में है। इस तरह हम देश में व्यापक स्तर पर आईओटी के इस्तेमाल की तैयारी देख रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि आईओटी सिस्टम में साइबर अपराधियों की सेंध से सिर्फ डाटा की हानि नहीं होती है बल्कि इससे प्रतिष्ठा भी दांव पर लगती है और लोगों की जिंदगी तथा सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। हमें 5जी के लिये खुद को इस तरह तैयार करना होगा कि साइबर सुरक्षा मानक उम्मीद जैसी रहे।
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