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मनी लॉन्ड्रिंग : नरेश जैन और बिमल जैन को कोर्ट ने नहीं मिली राहत

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नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपितों हवाला कारोबारी नरेश जैन और बिमल कुमार जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस योगेश खन्ना की बेंच ने कहा कि दोनों के खिलाफ आरोप गंभीर हैं और जांच अभी अहम मोड़ पर है। दोनों के खिलाफ 96 हजार करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है। तीन नवंबर 2020 को दिल्ली के रोहिणी कोर्ट ने इस मामले में ईडी की ओर से दायर चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया था। रोहिणी कोर्ट ने मनी लान्ड्रिंग एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोपों पर संज्ञान लिया था।

ईडी के मुताबिक नरेश जैन ने अपने भाई बिमल जैन और दूसरे आरोपितों और अपने कर्मचारियों के साथ मिलकर 450 भारतीय और 150 विदेशी कंपनियां बनाकर उन्हें ऑपरेट किया। इन कंपनियों को बनाने के लिए आरोपितों ने फर्जी दस्तावेजों, फर्जी शेयरहोल्डर और निदेशकों का इस्तेमाल किया और उनके बैंक खाते खुलवाए।

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ईडी के मुताबिक नरेश जैन ने हवाला कारोबार के जरिए कई दफ्तर और संपत्तियां खरीदीं। इन पैसों को विभिन्न कंपनियों में घुमाया जाता था ताकि इन्हें कालाधन नहीं कहा जाए। नरेश जैन ने फर्जी कंपनियों के जरिये विदेशी लेन-देन किया और सरकार को चूना लगाया।