कोलकाता: शेख शाहजहां ने अवैध रूप से कमाए गए अपने पैसे को इधर-उधर करने के लिए ऐसे जटिल तरीके अपनाए हैं कि ईडी भी हैरान है। अब पैसे के असली स्रोत का पता लगाने के लिए फोरेंसिक ऑडिट पर विचार किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि इस उद्देश्य के लिए ईडी अधिकारी मामले में मिले सभी प्रासंगिक दस्तावेजों की फोरेंसिक ऑडिट विशेषज्ञों से जांच कराने पर विचार कर रहे हैं।
फोरेंसिक ऑडिट की तैयारी में ईडी
फोरेंसिक ऑडिटिंग लेखा मानकों के भीतर एक विशेष क्षेत्र है, जिसके जरिए कानूनी कार्यवाही में साक्ष्य निकालने के लिए किसी व्यक्ति या संस्था के वित्तीय रिकॉर्ड की जांच की जाती है। सूत्रों ने बताया कि इस मामले में केंद्रीय एजेंसी विशेष रूप से उन दो निर्यात एजेंसियों के खातों का फोरेंसिक ऑडिट कराना चाहती है, जिनके जरिए शाहजहां मछली और मछली उत्पादों के निर्यात का कारोबार चलाता था। ईडी अधिकारियों को उम्मीद है कि फोरेंसिक ऑडिट से न केवल उनके अधिकारियों को पैसे के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलेगी, बल्कि इस निर्यात कारोबार में विदेशी मुद्रा प्रबंधन (फेमा) के उल्लंघन की प्रकृति पर भी कुछ प्रकाश पड़ेगा।
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राशन वितरण मामले में भी मदद कर सकता है फॉरेंसिक ऑडिट
तीसरा मामला जिस पर फोरेंसिक ऑडिट ईडी की मदद कर सकता है, वह है शाहजहां के कारोबार और पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के राशन वितरण मामले के बीच संबंध स्थापित करना। ईडी की जांच के दायरे में आने वाली दो निर्यात फर्मों में से एक शाहजहां की बेटी शेख सबीना के नाम पर पंजीकृत है, जबकि दूसरी उसके छोटे भाई शेख सिराजुद्दीन के नाम पर पंजीकृत है, जो फिलहाल फरार है। इस कदम को मामले में जांच की धीमी गति को लेकर विभिन्न अदालतों की तीखी आलोचना के मद्देनजर मामले में जांच प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए केंद्रीय एजेंसी द्वारा एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है।
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