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कोरोना मृतकों के नाम पर रेमडेसिविर निकाल करते थे कालाबाजारी, दो निलंबित

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कानपुरः वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हुई और कानपुर भी इससे अछूता नहीं रहा। यहां के मेडिकल कालेज से संबद्ध हैलट अस्पताल के कर्मचारियों ने तो हद पार कर दी और कोरोना मृतकों के नाम पर रेमडेसिविर इंजेक्शन निकाल लिए। मामला गंभीर होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया तो प्राचार्य डा. आरबी कमल ने जांच कमेटी गठित कर दी। रिपोर्ट के अनुसार मंगलवार को दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया। वहीं मामला मुख्यमंत्री से जुड़ा होने पर जिलाधिकारी ने भी जांच कमेटी गठित कर दी है।

देश में कोरोना की दूसरी लहर ने हजारों लोगों की जान ले ली और उस दौरान लोगों ने भी खूब आपदा में अवसर तलाशा। ऐसा ही मामला गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कालेज से संबद्ध हैलट अस्पताल का सामने आया। यहां पर उन कोरोना मरीजों के नाम पर रेमडेसिविर इंजेक्शन निकाले गयें जिनकी मौत स्टोर से इंजेक्शन निकालने से पहले ही हो चुकी थी। मामला उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी संज्ञान लिया और मुख्यमंत्री कार्यालय से अधिकारियों ने मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आरबी कमल से वार्ता की। ऐसे में प्राचार्य ने फौरन तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी और मंगलवार को कमेटी ने प्राचार्य को जांच रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे मामले में न्यूरो विभाग के कई लोग शामिल हैं। प्रथम दृष्टतया नर्स अंजुलिका मिश्रा और फार्मासिस्ट नागेन्द्र बाजपेयी पूरी तरह से लिप्त पाये गये। हैलट अस्पताल की प्रमुख अधीक्षिका डा. ज्योति सक्सेना ने बताया कि नर्स और फार्मासिस्ट को निलंबित कर दिया गया है। अभी जांच चल रही है जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ ऐसी ही कार्रवाई की जाएगी। बताते चलें कि हैलट अस्पताल में कोरोना इंजेक्शन रेमडेसिविर की कालाबाजारी का यह पहला मामला नहीं है। दूसरी लहर के दौरान पुलिस की क्राइम विभाग की टीम ने चार लोगों को इंजेक्शन की कालाबाजारी में पकड़ा था। इसमें भी हैलट का वार्ड ब्वाय मास्टर माइंड निकला था।

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जिलाधिकारी ने भी गठित की टीम मामला मुख्यमंत्री से जुड़ा होने के चलते मेडिकल कालेज के प्राचार्य अपने स्तर से कमेटी का गठन कर जांच तो करवा ही रहे हैं, लेकिन जिलाधिकारी आलोक तिवारी भी अपने स्तर से जांच कमेटी का गठन कर दिया है। जिलाधिकारी ने बताया कि जांच कमेटी की टीम सात दिनों में रिपोर्ट पेश करेगी और मुख्यमंत्री को भी रिपोर्ट से अवगत कराया जाएगा। बताते चलें कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की खबरें मुख्यमंत्री तक पहुंची तो उन्होंने साफ निर्देश दिया था कि ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही यह भी निर्देश थे कि इस तरह के कार्य में लिप्त लोगों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई होना चाहिये। ऐसे में संभावना है कि जो भी दोषी पाया जाएगा उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ रासुका के तहत भी कार्रवाई होगी।