विशेष Featured

कोरोना ने निकाला स्टेशनरी कारोबार का दिवाला

image-20

लखनऊः कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने स्टेशनरी कारोबार का दिवाला निकाल दिया है। लगातार दूसरे साल कारोबार प्रभावित होने से स्टेशनरी कारोबारी तबाह हो गए हैं। स्टेशनरी के थोक कारोबारियों से लेकर रिटेल कारोबारी तक की आमदनी ठप है। उस पर घरेलू खर्च के साथ बैंक की लोन किस्त से कारोबारी बुरी तरह से परेशान हैं।

राजधानी सहित प्रदेश के सभी स्कूल व कॉलेज बंद पड़े हैं। इसके चलते स्कूलों में इस्तेमाल होने वाली चीजें नहीं बिक सकी हैं, जिसका सीधा असर स्टेशनरी से जुड़े कारोबारियों पर पड़ा है। कोरोना महामारी से स्टेशनरी का सालाना 1,200 करोड़ का कारोबार पूरी तरह से ठप पड़ा है, जिससे कारोबारियों की कमर टूट चुकी है। स्टेशनरी के कॉपी, पेंसिल, ज्योमेट्री बॉक्स सहित अन्य सामान के स्टॉक गोदामों में पड़े हैं। स्टेशनरी के सालाना कारोबार के मुकाबले 50 से 60 फीसदी कारोबार अप्रैल और जुलाई महीने में होता है। बीते अप्रैल महीने में 100 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। इससे करीब 5 हजार स्टेशनरी कारोबारियों पर सीधा असर पड़ा है। कारोबारियों के अनुसार, साल 2020 में कोरोना की पहली लहर और इस साल कोरोना की दूसरी लहर से स्टेशनरी कारोबार का पीक टाइम बुरी तरह से प्रभावित रहा है।

20 से 25 फीसदी स्टॉक हो गए खराब

स्टेशनरी विक्रेता एवं निर्माता एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने बताया कि कोरोना से बीते 15 महीने से स्टेशनरी कारोबार ठप पड़ा है। स्टेशनरी का करीब 10 से 15 हजार करोड़ का कारोबार है, मगर बीते साल से बमुश्किल 10 से 15 फीसदी कारोबार हो सका है। कोरोना महामारी से स्कूल-कॉलेज बंद होने से स्टॉक गोदाम में ही पड़े रह गए। यही नहीं 20 से 25 प्रतिशत स्टॉक गोदाम में ही खराब हो गए। कारोबार न होने से कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल हो रहा है। जमा पूंजी से घरेलू खर्च चलाया जा रहा है।

राजधानी में 5 हजार स्टेशनरी कारोबारी

राजधानी में करीब 5 हजार स्टेशनरी कारोबारी हैं। इसमें होलसेलर, मेन्युफैक्चर्स, रिटेलर, फाइल वाले, कॉपी वाले, पेपर वाले सभी शामिल हैं। अप्रैल, मई और जून ये तीन महीने स्टेशनरी कारोबारियों के लिए सीजन होते हैं। हर साल इन तीन महीनों में ही करीब 400-500 करोड़ तक का कारोबार होता था। इसके लिए जनवरी के महीने से ही मैन्युफैक्चर्स माल स्टॉक करना शुरू कर देते हैं।

बैंक की किस्त चुकाना पड़ रहा भारी

स्टेशनरी विक्रेता एवं निर्माता एसोसिएशन के महामंत्री विशाल गौड़ ने बताया कि अप्रैल और जुलाई महीने में सबसे अधिक स्टेशनरी कारोबार होता है, मगर बीते दो सीजन से कोरोना के चलते कारोबार ठप पड़ा है। आमदनी न होने से कारोबारियों को बैंक किस्त चुकाना भारी पड़ रहा है। कोरोना के चलते करीब 20 फीसदी दुकानदार पहले ही खत्म हो चुके हैं। वहीं 20 से 25 फीसदी ऐसे दुकानदार हैं, जो हमारी पूंजी से अपना पेट पाल रहे हैं। जबकि हमारे जैसे कारोबारियों की पूंजी अलग फंसी है और कारोबार न होने से आय भी बंद है।

प्रदेश का सप्लाई हब है लखनऊ

स्टेशनरी के मामले में लखनऊ प्रदेश का सप्लाई हब है। यहां से सीतापुर, लखीमपुर, रायबरेली, सुलतानपुर, हरदोई, बाराबंकी, अयोध्या, गोंडा, बस्ती, बहराइच सहित करीब 35 जनपदों में स्टेशनरी का माल जाता है। स्टेशनरी में स्कूल बैग, बोतल, सेलो टेप, जियोमेट्री बॉक्स, गम स्टिक, किताबें, कॉपियां और फाइल शामिल हैं।

एक नजर

  • 200 स्टेशनरी की थोक दुकानें
  • 35 जनपदों को होती है स्टेशनरी की आपूर्ति
  • लखनऊ में स्टेशनरी की करीब 5000 फुटकर दुकानें
  • अप्रैल से जून के बीच 400-500 करोड़ का कारोबार
  • इस बार हो सका महज 10-15 फीसदी कारोबार

यह भी पढ़ेंः-कोरोना ने इंसान ही नहीं इंसानियत को भी मारा, अर्थी-कंधा का तय है रेट