बिहार के गांवों में पैर पसार रहा कोरोना संक्रमण, जानकारी का अभाव बना सरकार के लिए चुनौती

पटनाः बिहार में कोरोना का संक्रमण अब धीरे-धीरे गांव की ओर बढ रहा है, जिससे निपटना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है। पटना जिले के अलावा विभिन्न जनपदों में अब गांव की ओर बढ़ते संक्रमण को लेकर हालांकि गांव वाले बेपरवाह बने हुए हैं। गांव के लोगों में कोरोना को लेकर जागरूकता की कमी और मौसम में बदलाव के कारण खांसी और बुखार की भ्रांति के चलते गांव वाले जांच कराने भी नहीं निकल रहे हैं। इसके अलावा लॉकडाउन का असर भी गांवों में नहीं दिख रहा है, जिस कारण संक्रमण पांव पसार रहा है। गांव के लोग कहते हैं कि कोरोना गांव में नहीं है, यह केवल शहर में है। हम लोग धूप में रहने वाले हैं हम लोगों को कोरोना नहीं होगा। ग्रामीण ना कोरोना को लेकर जागरूक हैं न ही कोरोना टीका को लेकर। ऐसा नहीं है कि सरकार को इस बात का अंदेशा नहीं है कि इस बार स्थिति पिछले साल से अलग होने वाली है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गांव-गांव तक कोरोना की भयावहता के संबंध में लोगों को जागरूक करने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि संक्रमण के प्रति लोगों को सचेत करने की जरूरत है। इसके लिए संचार के सभी माध्यमों का उपयोग करते हुए गांव-गांव में जागरूकता फैलाई जाएगी। उन्हें बताया जाए कि वे बेवजह घर से नहीं निकलें, सोशल डिस्टेसिंग का पालन करें तथा मास्क का उपयोग करें। स्वास्थ्य विभाग के ताजा आंकडों पर गौर करें तो पटना में 21,648 सक्रिय मरीज हैं, इनमें से प्रखंडों की बात करें तो पटना सदर में 11 हजार से ज्यादा मरीज हैं जबकि अधिकांश प्रखंडों में मरीजों की संख्या 100 से ज्यादा है। फुलवारीशरीफ प्रखंड में 839 मरीज हैं जबकि बाढ़ में 600 से अधिक मरीज हैं। दनियांवा प्रखंड में सबसे कम 18 मरीज बताए जा रहे हैं।

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मुजफ्फरपुर, वैशाली, नालंदा, भागलपुर सहित कई जिले में भी कोरोना गांव में पैर पसार रहा है। वैशाली जिले के हसनपुर दक्षिणी पंचायत के मुखिया मुकेश कुमार सिंह कहते हैं कि वर्तमान में गांव के लोग स्थिति को नहीं समझ पा रहे हैं। कोरोना को लोग बीमारी ही नहीं मान रहे हैं, यही कारण है कि कई गावों में लोग न मास्क लगा रहे हैं और न ही सामाजिक दूरी का पालन कर रहे हंैं।