नई दिल्लीः स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यहां सोमवार को कहा कि छोटे बच्चों में कोविड संक्रमण के मामले बढ़ने के प्रमुख कारण हैं स्कूलों के खुलने, बच्चों में टीकाकरण की कम दर और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि कोविड उपायों का सही तरीके से पालन नहीं होना।
पिछले कुछ दिनों में राजधानी के एनसीआर क्षेत्र में लगभग 100 स्कूली बच्चे सार्स-कोव-2 से संक्रमित हुए हैं, जो वायरस कोविड-19 बीमारी का कारण बनता है। अप्रैल में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के बाद से गौतमबुद्धनगर में लगभग 59 और गाजियाबाद के 22 स्कूलों में 32 छात्र कोविड पॉजिटिव पाए गए। दिल्ली के कई स्कूलों में भी पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। बच्चों के अलावा कई शिक्षक भी संक्रमित हुए हैं।
दिल्ली और नोएडा में स्वास्थ्य अधिकारियों ने स्कूलों को कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने और कोविड हेल्प डेस्क स्थापित करने का निर्देश दिया है। स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि छात्रों में कोविड का एक भी मामला सामने आने पर विंग या स्कूल को पूरी तरह से बंद कर दें। माता-पिता से यह भी कहा गया है कि यदि वे वायरल बीमारी के किसी भी लक्षण की रिपोर्ट करते हैं तो बच्चों को स्कूल न भेजें।
इंडियन स्पाइनल इंजुरी सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. कर्नल विजय दत्ता ने बताया, “कोविड-19 के मामले इस समय विशेष रूप से हमारे एनसीआर क्षेत्र में बाल चिकित्सा समूह में तेजी से बढ़ते दिख रहे हैं, क्योंकि बच्चों ने स्कूल जाना शुरू कर दिया है। उन्हें अभी तक टीका नहीं लगाया गया है, क्योंकि टीका अभी भी 12 वर्ष से कम आयुवर्ग के लिए परीक्षण के अधीन है।”
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली में कंसल्टेंट और पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. स्मिता मल्होत्रा ने कहा, “एहतियाती उपायों से संक्रमण कुछ अंतराल पर होगा।” डॉक्टरों ने बताया कि विशिष्ट लक्षणों में हल्की खांसी, सर्दी, बुखार और सिरदर्द शामिल हैं। कुछ मामलों में लक्षण दस्त और थकान हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि बाल चिकित्सा समूह में अब तक निमोनिया का कोई मामला नहीं है।
इस बीच, भारत में संक्रमण के 2,183 मामले आए हैं। पिछले 24 घंटों में कोविड के मामलों में 90 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। आकाश हेल्थकेयर, द्वारका की कंसल्टेंट, पीडियाट्रिक्स एंड नियोनेटोलॉजी, डॉ. मीना जे ने बताया, “मामले काफी बढ़ रहे हैं, फिर भी इसे चौथी लहर कहना अभी जल्दबाजी होगी।”
विशेषज्ञों के अनुसार, इस समय का देश में मुख्य रूप से ओमिक्रॉन के बीए.2 सब-वेरिएंट का प्रकोप है। पिछले दो वर्षों के दौरान दुनियाभर में बच्चों में कोविड के मामले काफी कम थे, मगर पिछले साल नवंबर के अंत में शुरू हुई ओमिक्रॉन लहर ने बच्चों में संक्रमण बढ़ा दिया। बच्चे मुख्य रूप से मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम और ऊपरी वायुमार्ग के संक्रमण से प्रभावित हुए हैं। इसे लैरींगोट्राचेओब्रोंकाइटिस कहा जाता है। इसमें बच्चों को भौंकने जैसी खांसी होती है और सांस बहुत तेज चलती है।
बाल रोगों पर केंद्रित पत्रिका ‘जामा’ में हाल ही में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट से पता चला है कि ओमिक्रॉन के मामले बढ़ने के दौरान बच्चों के ऊपरी वायुमार्ग संक्रमण में वृद्धि हुई है। अमेरिका में इससे पीड़ित कई बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आई। इसमें आक्रामक वेंटिलेशन, वैसोप्रेसर्स या एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन और यहां तक कि मौत भी हो जाती है।
कोलोराडो और नॉर्थवेस्टर्न के अमेरिकी विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि छोटे बच्चे ऊपरी वायुमार्ग संक्रमण जैसे क्रुप के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। स्थिति गंभीर होने पर दिल का दौरा भी पड़ सकता है। मल्होत्रा ने कहा, “चूंकि 12 साल से कम उम्र के बच्चों को टीका नहीं लगाया जा सकता, इसलिए उनके कोविड से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में एहतियाती उपायों का पालन करना जरूरी है- जिसमें हाथ धोना, आपस में दूरी बनाए रखना और मास्क पहनना शामिल है।”
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वहीं, दत्ता ने कहा, “भारत सरकार को भी बच्चों के लिए अपने टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी लानी चाहिए। स्कूल में बच्चों को छींकते और खांसते समय अपना चेहरा ढकने के कुछ व्यवहार सिखाए जाने चाहिए।” उन्होंने कहा, “बच्चों को बताया जाना चाहिए कि उन्हें अपने हाथों को साबुन और पानी से या अल्कोहल-आधारित सैनिटाइजर से नियमित अंतराल पर धोना है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।”
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