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शोध कार्य के माध्यम से समाज की आवश्यकताओं को खोजेंः प्रो. सीमा सिंह

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प्रयागराजः उप्र राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर समाज विज्ञान विद्या शाखा के तत्वावधान में भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित 10 दिवसीय शोध प्रविधि पाठ्यक्रम का समापन बृहस्पतिवार को सरस्वती परिसर स्थित लोकमान्य तिलक शास्त्रार्थ सभागार में हुआ ।

शोध प्रविधि पाठ्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर पंकज कुमार, विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय ने कहा कि शोध में सामाजिक सरोकार एवं पारंपरिक ज्ञान बहुत उपयोगी है। हमें नवीन प्रवृत्तियों एवं नई तकनीक का गुलाम नहीं बनना चाहिए। उन्होंने शोध में ईमानदारी पर जोर देते हुए शोध निर्देशक की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। प्रोफेसर पंकज कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज शोध का भी एक बाजार तैयार हो गया है। जिससे शोध में लगातार गिरावट हो रही है। शिक्षक समाज को इस दिशा में रचनात्मक कार्य करना चाहिए।

अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि शोध को केवल उपाधि तक सीमित नहीं रखना है। वरन हमारा यह दायित्व है कि हम उस शोध कार्य के माध्यम से समाज की आवश्यकताओं को खोज सकें। शोध में उपयोगिता का तत्व होना चाहिए जो समाज में अपना योगदान दे सके। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि हम सभी को एक शोधार्थी के रूप में अपनी जिज्ञासा को सदैव जीवित रखना चाहिए। पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात भी शोधार्थी बने रहना चाहिए।

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विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर राजशरण शाही, शिक्षा शास्त्र विभाग, बीबीएयू, लखनऊ ने कहा कि भारतीय भाषाओं में शोध को प्रोत्साहित करना चाहिए। इसकी आज बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान और विज्ञान की समृद्ध परम्परा यहां रही है। यही परंपरा विश्व के कल्याण के लिए थी। उन्होंने पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली पर शोध करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लोक संस्कृति एवं लोक साहित्य में ज्ञान परंपराएं विद्यमान हैं जिसे उद्घाटित करने की आवश्यकता है।
प्रोफेसर एस कुमार, निदेशक, समाज विज्ञान विद्या शाखा ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यशाला के सह समन्वयक डॉ त्रिविक्रम तिवारी ने 10 दिवसीय कार्यशाला की आख्या प्रस्तुत की। डॉ दीपशिखा श्रीवास्तव, आयोजन सचिव ने संचालन तथा डॉ आनंदानंद त्रिपाठी, समन्वयक ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

10 दिवसीय शोध कार्यशाला के 30 तकनीकी सत्रों में प्रोफेसर ज्ञान प्रकाश सिंह, प्रोफेसर विश्वनाथ मिश्रा, प्रोफेशन रवीन्द्र रैना, प्रोफेसर ए के मलिक, डॉ गौरव संकल्प, डॉ बी के सिंह, प्रोफेसर यतींद्र सिंह, प्रोफेसर ए के महापात्रा, प्रोफेसर आर डी शर्मा, प्रोफेसर आलोक चांटिया, डॉ एकता वर्मा, डॉ श्रुति, प्रोफेसर रिपुसूदन सिंह, प्रोफेसर ए आर सिद्धीकी तथा प्रोफेसर मधुरेंद्र कुमार ने शोधार्थियों को शोध के विभिन्न पक्षों पर जानकारियां प्रदान की। इसके साथ ही प्रतिभागियों को 5 वर्गों में बांट कर विंध्य क्षेत्र का शैक्षिक भ्रमण कराया गया। समापन सत्र में प्रतिभागियों ने अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम में कुलसचिव श्री विनय कुमार, डॉ गौरव संकल्प, प्रोफेसर पीके स्टालिन, प्रोफेसर पीके पांडेय, प्रोफेसर छत्रसाल सिंह, प्रोफेसर ए के मलिक, प्रोफेसर एस कुमार, डॉ आनंदानंद त्रिपाठी, डॉ त्रिविक्रम तिवारी, डॉ दीपशिखा आदि शिक्षक एवं शोध छात्र उपस्थित रहे।

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