नैमिषारण्य: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को यहां कहा कि नैमिषारण्य (naimisharanya) की महिमा अपरंपार है। सभी धार्मिक ग्रंथों ने इस पवित्र तीर्थ की महिमा गाई है। तीरथ वर नैमिष विख्याता, अत्यंत पवित्र साधक सिद्धि गाथा… नैमिषारण्य की महिमा का ज्ञान संत तुलसीदास ने सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ रामचरित मानस में भी दिया है।
मुख्यमंत्री योगी ने आज यहां श्री श्री जगदम्बा राज राजेश्वरी मंदिर एवं नूतन देवालय के चित्शक्ति द्वार के स्थापना-प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव का उद्घाटन किया। उन्होंने मंदिर में पूजा भी की। अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि यहां भगवान वेदव्यास के मार्गदर्शन में हजारों ऋषि-मुनियों ने तपस्या की थी। इस क्षेत्र में 88 हजार ऋषि-मुनियों ने तप किया था और भारत को ज्ञान-विज्ञान की विरासत वैदिक ज्ञान के रूप में दी थी।
देवासुर संग्राम के दौरान महर्षि दधीचि ने यहां अपनी अस्थियों का दान किया था। इस स्थान पर सती की जीभ का भाग ललिता देवी के रूप में गिरा था। माँ ललिता देवी का शक्तिपीठ, पवित्र निवास और चक्रतीर्थ यहीं स्थित है। इसी कड़ी को जोड़ते हुए संत सन्मुखानंद पुरी जी महाराज ने राजराजेश्वरी मंदिर एवं आश्रम की स्थापना कर नई ऊंचाईयां प्रदान करने का कार्य किया है।
विश्व मानवता को बचाना है तो सनातन धर्म को बचाना होगा
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि धार्मिक आयोजनों से सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा मिलती है। शास्त्र कहते हैं कि धर्म से हीन मनुष्य और पशु में कोई अंतर नहीं है। धर्म केवल पूजा-पद्धति नहीं है। धर्म अच्छे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। धर्म एक शाश्वत व्यवस्था है, जिसके माध्यम से हम अनुशासन, कर्तव्य और नैतिकता का पाठ सीखते हैं। इनसे जुड़े नैतिक मूल्यों का समन्वय ही वास्तव में धर्म है। पंथ, सम्प्रदाय और पूजा पद्धतियां आती-जाती रहेंगी, लेकिन धर्म सदैव शाश्वत रहता है। सनातन धर्म इस सृष्टि और मानवता का धर्म है। जब तक सनातन धर्म रहेगा तब तक विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता रहेगा। यदि सनातन धर्म खतरे में है तो विश्व मानवता खतरे में पड़ जायेगी। यज्ञ सनातन धर्म का मूल है। यह ऋषि-मुनियों की परंपरा है।
भारतीयों का संयम विश्व के लिए अद्वितीय उदाहरण
योगी ने कहा कि भारत की विरासत को नया स्वरूप देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में जो काम शुरू हुआ वह अद्भुत है। काशी विश्वनाथ को भव्य रूप दिया गया है।केदारपुरी और बदरीनाथ धाम में पुनरुद्धार का काम चल रहा है। पांच शताब्दियों के बाद अयोध्या में करोड़ों सनातन धर्मावलंबियों की आस्था मजबूत हुई है। भगवान राम की मर्यादा का पालन करते हुए और न्यायालय के फैसले का पालन करते हुए भारत के लोगों ने जिस संयम का परिचय दिया वह दुनिया के लिए एक अद्वितीय उदाहरण है।
दर्जनों पीढ़ियाँ, जिनके मन में यह इच्छा थी कि वे भी रामलला को विराजमान देखेंगे, अधूरी आशाएँ लेकर साकेत धाम चली गईं। हमारी पीढ़ी भाग्यशाली है, जिसने रामलला को एक बार फिर अयोध्या धाम में विराजमान देखा है। हमें धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ समाज निर्माण एवं जन कल्याण के लिए भी कार्य करना चाहिए। सरकार और समाज मिलकर आगे बढ़ें तो विकास तेज होता है।
अयोध्या के व्यापारियों ने कहा- एक सप्ताह में तीस गुना बढ़ा कारोबार
मुख्यमंत्री ने कहा कि नैमिषारण्य को प्राचीन गौरव प्राप्त हो। यह धर्म के साथ-साथ अर्थशास्त्र के भी हित में है कि इसका स्वरूप पुनः उसी रूप में प्राप्त किया जा सके। यदि इस स्थान का प्राचीन गौरव बहाल हो तो हजारों स्थानीय युवाओं को रोजगार की सुविधा मिलेगी। जब मैं प्राण-प्रतिष्ठा के बाद पहले सप्ताह में दो-तीन बार अयोध्या गया, तो मैंने व्यापारियों से पूछा कि क्या उन्हें कोई लाभ हो रहा है या सिर्फ भीड़ ही आ रही है, तो उन्होंने बताया कि हमारा व्यापार एक सप्ताह में तीस गुना बढ़ गया है। अच्छे कार्य से समाज के हर वर्ग को लाभ होता है।
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लोक कल्याण और राष्ट्र कल्याण एक दूसरे के पूरक
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में चलाए जा रहे कार्यक्रम का उद्देश्य जाति, धर्म और खान-पान से ऊपर उठकर देश के बारे में सोचना है। हमारे लिए देश सबसे पहले है। मेरे प्रयासों और यश का उपयोग देशहित में हो, जिस दिन प्रत्येक भारतीय इस भावना से कार्य करना शुरू कर देगा, भारत को विश्व की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित होने से कोई नहीं रोक सकता।
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