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सीएम योगी बोले-यूपी में कोरोना संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में पर सतर्कता जरूरी

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लखनऊः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को टीम-09 की बैठक कर प्रदेश में कोविड व्यवस्था की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोरोना के लिए रोकथाम के प्रयास की मौजूदा स्थिति संतोषजनक है। बावजूद इसके हमें सतर्क रहना होगा। साथ ही बच्चों के टीकाकरण और वयस्कों के बूस्टर डोज लगाए जाने को और तेज किए जाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अब तक कोविड टीके की 31 करोड़ 85 लाख डोज लगाई जा चुकी है। 11 करोड़ 23 लाख से अधिक कोविड टेस्ट भी किए जा चुके हैं। 18 साल से अधिक आयु की पूरी आबादी को टीके की कम से कम एक डोज लग चुकी है, जबकि 89.86 फीसदी वयस्क लोगों को दोनों खुराक मिल गयी है।

उन्होंने कहा कि 15 से 17 साल आयु वर्ग में 95.85 प्रतिशत से अधिक किशोरों को पहली खुराक मिल चुकी है और 69.80 प्रतिशत से अधिक किशोरों को दोनों डोज लग गयी है। 12 से 14 साल आयु वर्ग में 70 फीसदी से अधिक बच्चे टीकाकवर पा चुके हैं। इन्हें दूसरे डोज लगाया जाना भी शुरू हो चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह स्थिति संतोषजनक है। बच्चों के टीकाकरण और वयस्कों के बूस्टर डोज लगाए जाने को और तेज किए जाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ट्रैक, टेस्ट, ट्रीट और टीकाकरण की नीति के सफल क्रियान्वयन से उत्तर प्रदेश में कोविड पर प्रभावी नियंत्रण बना हुआ है। वर्तमान में प्रदेश में कुल 1432 एक्टिव केस हैं। इसमें 1374 लोग घर पर ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। इनके स्वास्थ्य पर सतत नजर रखी जाए। बीते सात मई को प्रदेश में 2000 से अधिक एक्टिव केस थे, तब से फिर नए केस की संख्या में कमी देखी जा रही है। पॉजिटिविटी 0.03 प्रतिशत रही। स्थिति नियंत्रण में है लेकिन सतर्कता जरूरी है।

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पिछले 24 घंटे में पूरे प्रदेश में 179 नए केस की पुष्टि हुई। इसमें गौतमबुद्ध नगर में 56, गाजियाबाद में 37, लखनऊ में 21 नए केस शामिल हैं। इसी अवधि 231 लोग स्वस्थ भी हुए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिन जिलों में केस अधिक मिल रहे हैं वहां सार्वजनिक स्थानों पर फेस मास्क लगाया जाना अनिवार्य है। इसे लागू कराएं। लोगों को जागरूक करें। टेस्ट की संख्या बढ़ाये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नर्सिंग व पैरामेडिकल के क्षेत्र में अच्छा कॅरियर है। एएनएम, जीएनएम के बेहतर प्रशिक्षण के लिए अवस्थापना सुविधाओं के विकास की जरूरत है। ऐसे में पिछले तीन दशकों से बंद पड़े राज्य सरकार के प्रशिक्षण संस्थानों के पुनर्संचालन की कार्ययोजना तैयार की जाए। प्रारंभिक रूप से नौ जीएनएम ट्रेनिंग स्कूल और 34 एएनएम प्रशिक्षण केंद्रों का संचालन करने की तैयारी करें। हर संस्थान में मानकों का कड़ाई से अनुपालन कराया जाए। फैकल्टी पर्याप्त हो, अच्छी हो। मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल में भी इनके प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए।

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