गोरखपुरः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशवासियों को वासंतिक नवरात्रि की महानवमी एवं प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव श्रीरामनवमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमें धर्म को मात्र उपासना विधि मानने की भूल नहीं करनी चाहिए। धर्म कर्तव्य का बोध कराता है। धर्म हमें सदाचार, कर्तव्य और नैतिक मूल्यों से जोड़कर सत्मार्ग पर चलते हुए सकारात्मक एवं रचनात्मक प्रवृत्ति की ओर अग्रसर करता है। मुख्यमंत्री योगी गोरखनाथ मंदिर में कन्या पूजन एवं श्रीराम जन्मोत्सव का अनुष्ठान पूर्ण करने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि श्रीरामनवमी पर दिख रहा उल्लास व उमंग यह प्रदर्शित करता है कि समाज में सात्विक व रचनात्मक प्रवृत्तियां तेजी से आगे बढ़ी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सकारात्मकता व रचनात्मकता के कार्यक्रमों से नए भारत का निर्माण हो रहा है। पूरी दुनिया सामर्थ्यवान और शक्तिशाली भारत की ताकत का एहसास कर रही है। समर्थ भारत में रामराज्य की परिकल्पना भी साकार हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान भारत के सामर्थ्य और संवेदनशीलता को पूरी दुनिया ने देखा है। जरूरतमंदों को बिना भेदभाव आवास, शौचालय, रसोई गैस कनेक्शन, बिजली कनेक्शन की निशुल्क सुविधा दी गई। संकट के समय में हर गरीब को मुफ्त राशन भी उपलब्ध कराया गया। उन्होंने जी-20 के नेतृत्व को देश के लिए गौरवपूर्ण बताते हुए कहा कि जी-20 का थीम वसुधैव कुटुम्बकम धर्म के विराट स्वरूप की व्याख्या करने वाली भारतीय मनीषा की ही देन है।
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उन्होंने कहा कि नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री की आराधना के साथ ही श्रीराम जन्मोत्सव को उत्साह व उमंग से मनाया जा रहा है। प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या के हर देवस्थल पर काफी उत्साह है। कल से अब तक 15 लाख से अधिक श्रद्धालु अयोध्या में पवित्र सरयू नदी में स्नान के बाद हुनमानगढ़ी और श्रीराम जन्मभूमि का दर्शन कर चुके हैं। सभी धर्मस्थलों पर दुर्गा सप्तशती व अखंड रामायण पाठ का आयोजन भी प्रदेश सरकार की तरफ से सुनिश्चित किया गया है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
प्रभु श्रीराम के बालरूप की आरती उतारी, पालने में झुलाया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर परिसर के मुक्ताकाशी मंच पर आयोजित प्रभु श्रीराम के जन्मोत्सव में भी शामिल हुए। उन्होंने पालने में रखे श्रीराम के बाल छवि का विधि विधान से पूजन करने के बाद आरती उतारी। उन्होंने पालने में प्रभु के बालरूप को झुलाया भी।
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