जयपुरः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से तीन कृषि कानून वापस लेने की घोषणा पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को केन्द्र पर सियासी हमला किया। उन्होंने कहा कि उपचुनावों में हुई करारी हार के बाद केन्द्र सरकार ने उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार की आशंका और घबराहट के चलते यह फैसला किया है। उन्होंने इसे केन्द्र सरकार के अहंकार और घमंड की हार बताया है।
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय के बाहर पत्रकारों से बातचीत में गहलोत ने कहा कि देश की आजादी के बाद इससे पहले ऐसा कभी नहीं देखने को मिला कि अन्नदाता किसानों को एक साल से ज्यादा समय तक सड़कों पर संघर्ष करना पड़ा हो। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान बॉर्डर पर बैठे किसान पूरे देश की भावनाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, लेकिन केन्द्र सरकार उसे समझने में फेल रही। संघर्ष चलता रहा और कई किसान मारे गए। राहुल गांधी और विपक्षी पार्टियों को राष्ट्रपति से मिलना पड़ा। लगातार संघर्ष में साथ देना पड़ा।उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियों की मांग को केन्द्र सरकार ने नहीं सुना। केन्द्र की सत्ता में बैठे लोगों की प्रकृति में है कि वह अहम और घमंड में रहे। अब प्रधानमंत्री को मजबूर होकर तीन कृषि कानून वापस लेकर देशवासियों को संदेश देना पड़ा है। इन कानूनों को राजस्थान की विधानसभा ने तो पहले ही खारिज कर दिया था। यह देश के किसानों की जीत है।
एक सवाल के जवाब में गहलोत ने कहा कि किसान नेता अब भी तीन कृषि कानून वापस लेने पर संसद में फैसला लेने की मांग कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि जब सरकार की विश्वसनीयता खत्म हो जाती है, मीडिया के बोलने का मतलब है कि आम आदमी बोल रहा होगा। ये भावना पैदा हो रही है कि प्रधानमंत्री घोषणा करने के बाद भी पता नहीं क्या करेंगे। कोई रास्ता निकाल लेंगे या संसद में क्या करेंगे। यह विश्वसनीयता के संकट की बात है। ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई पर जितना दबाव है कोई कल्पना नहीं कर सकता है। बहुत घबराहट का माहौल है। जो भाईचारा, प्रेम लोगों में होना चाहिए। वो बहुत कम हो रहा है। यह देश के लिए बहुत बड़ा खतरा है।गहलोत ने कहा कि केन्द्र सरकार ने किसानों की इनकम दोगुना करने का वादा किया था, लेकिन तीन काले कानून ले आई। तीन कृषि कानून वापस लेने के फैसले का हमें कल रात को ही आभास हो गया था। क्योंकि, प्रधानमंत्री उत्तरप्रदेश में तीन दिन चुनाव में जीत के लिए डेरा डाल रहे हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री और केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को संभाग वाइज बूथ मैनेजमेंट की जिम्मेदारी दी गई है। गहलोत ने कहा कि इससे अंदाजा लगा लेना चाहिए कि आज तीन कृषि कानून वापस लेने का फैसला भी यूपी चुनाव को देखकर हो रहा है। केन्द्र को मालूम है कि अगर यूपी में चुनाव हार गए। तो 2024 में भी कामयाब होने का सपना ही रह जाएगा। इसलिए वेस्ट बंगाल की तरह बीजेपी पूरी ताकत झोंक रही है।
यह भी पढ़ें- जमीनी विवाद में युवक की पीट-पीटकर हत्या, इलाके में आगजनी, पांच गिरफ्तार
गहलोत ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर 5 और 10 रुपए भी पिछले दिनों इसलिए कम किए गए, क्योंकि बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के खुद के राज्य हिमाचल प्रदेश में 1 लोकसभा और 3 विधानसभा सीटों पर बीजेपी का सफाया हो गया। राजस्थान में 2 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव में जमानत जब्त हो गई। बीजेपी प्रत्याशी तीसरे और चौथे नंबर पर रहे। इसलिए पेट्रोल डीजल से एक्साइज घटाने की घोषणा करनी पड़ी। सीएम ने कहा कि महंगाई और बेरोजगारी की मार में देश के लोग तथा नौजवान परेशान हो रहे है। अगर सरकार दामों में कुछ राहत दे देगी तो हमारे भी साढ़े 3 हजार करोड़ रुपये कम हो जाएंगे, ये हमें मंजूर है। देश के नौजवानों में आक्रोश है क्योंकि तीन चौथाई से आबादी नौजवानों की है। जिस प्रकार राजस्थान सरकार नौकरियों का रास्ता खोल चुकी है, लगभग 1 लाख नौकरियां दे चुकी है और 70 हजार नौकरियों का कार्य चल रहा है, प्रोसेस चल रहा है, उसी प्रकार से भारत सरकार को आगे आना चाहिए। जनहित में महंगाई कम हो, ये बहुत बड़ा मुद्दा है। मैं पीएम से कहना चाहूंगा कि आप इस बात को समझो और समय रहते हुए अभी फैसला करो।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)