जयपुरः राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब जातीय जनगणना की जगह सर्वे कराने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि हम सर्वे कराएंगे, इसके लिए तुरंत आदेश दिए जाएंगे। सर्वे होगा, जनगणना भारत सरकार कर सकती है, राज्य सरकार नहीं। यह किया जा रहा है कोरा सर्वे यानि की परिवारों का सर्वे, जिससे आर्थिक स्थिति का पता चलेगा। हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता है कि हम इसे आगे बढ़ाएंगे।
पत्रकारों के सवाल पर दिया जवाब
मुख्यमंत्री गहलोत शनिवार को जयपुर में जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन कनेक्ट 2023 के सम्मेलन के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। आचार संहिता के कारण जातिगत सर्वे अटकने के सवाल पर गहलोत ने कहा कि मैंने कब कहा है कि निर्णय लिया जाएगा अगर बाद में आचार संहिता लागू भी हो गई तो इसमें क्या दिक्कत होगी? सुप्रीम कोर्ट में भी इस पर बहस हो चुकी है। फैसला बिहार सरकार के पक्ष में आया है। बिहार सरकार ने ऐसा किया है, हम उसी मॉडल को राजस्थान में अपना रहे हैं।’ सर्वे में समय लगता है। बिहार में भी डेढ़ साल लग गये। हमने सर्वे कराने का निर्णय लिया, यह बड़ी बात है। रायपुर अधिवेशन में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने जो निर्णय लिया, उसे हम आगे बढ़ा रहे हैं। हम हर परिवार की आर्थिक स्थिति जानना चाहेंगे, ताकि उन्हें भविष्य में बनाई गई योजनाओं का लाभ मिल सके। मैं बार-बार कहता हूं कि देश में सामाजिक सुरक्षा का अधिकार लागू होना चाहिए। हमें कैसे पता चलेगा कि सामाजिक सुरक्षा किसे मिलती है? इसके लिए हर परिवार का सर्वेक्षण जरूरी है। एक बार सर्वे हो जाए तो पता चल जाएगा कि कौन जरूरतमंद है।
गहलोत ने कहा कि मेरा सपना है कि यूरोपीय देशों की तरह देश में भी हर जरूरतमंद को जीवन यापन के लिए पैसा मिले। जैसा कि राहुल गांधी ने कहा था, न्याय योजना के तहत हर नागरिक को छह हजार रुपये मिलने चाहिए। यह एक तरह की न्याय योजना है। प्रत्येक परिवार को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार है।
बीजेपी नेता करते हैं अनाप-शनाप बातें
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी घोषणा होते ही वे बैठक बुला रहे हैं, इसलिए आप समझिए कि हमारे फैसले कितने महत्वपूर्ण हैं। हमारी योजनाओं और निर्णयों को लेकर भाजपा को आलोचना के शब्द नहीं मिल रहे हैं।’ इसीलिए वे कभी लाल डायरी तो कभी पीली डायरी की बात करते हैं। बीजेपी के स्थानीय नेताओं को अमित शाह, राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा को ठीक से जानकारी देनी चाहिए कि यहां क्या मुद्दे हैं? स्थानीय नेता आने वाले केंद्रीय नेता को ब्रीफिंग देते हैं। आज हालात ऐसे हो गए हैं कि स्थानीय नेता इस मुद्दे को सामने रखने की स्थिति में नहीं हैं, यही वजह है कि जब बीजेपी नेता यहां आते हैं तो अनाप-शनाप बातें करते हैं।
सीएम गजेंद्र सिंह के माफी मांगने वाले बयान पर गहलोत ने कहा कि उन्हें लाखों लोगों से माफी मांगनी चाहिए। उनके नाम के आगे संजीवनी जुड़ गया है। डेढ़ लाख लोग बर्बाद हो गए, उनकी जमापूंजी खत्म हो गई। क्या उनकी हालत देखकर गजेंद्र सिंह शेखावत की आंखों में आंसू नहीं आने चाहिए थे? कई परिवार डूब गये हैं। हर घर की कहानी सुनोगे तो खुद ही रो पड़ोगे।
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उन्होंने कहा कि शेखावत को आगे आकर मदद करनी चाहिए थी। मैं एक बार नहीं 25 बार माफी मांग सकता हूं, अगर वह आगे आएं और पीड़ितों की मदद करें, अगर मैंने कुछ गलत कहा हो तो मैं उनसे माफी मांगूंगा।’ मैंने वही कहा जो कानून के दायरे में है। गहलोत ने कहा कि गृह मंत्री होने के नाते पीड़ित उनसे मिलने आए थे। मुझे एसओजी में पता चला कि इसमें गजेंद्र सिंह आरोपी है, तब मैंने कहा था कि वह आरोपी है। अब इससे क्या फर्क पड़ता है कि आरोपी जेल के अंदर है या बाहर?
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