जयपुरः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि केन्द्र सरकार बदले की भावना से काम कर रही है। ईडी को यह बताना चाहिए कि वो किसके दबाव में काम कर रही है। 2015 के बाद ईडी ने केस को बंद कर दिया था। अब ईडी बताए कि किसके कहने पर यह केस खोला गया। आज हर तरफ तनाव का माहौल बना दिया गया है जैसे कि कोई देश मे बड़ा घोटाला हो गया हो।
पत्रकारों से बातचीत में गहलोत ने सवाल उठाते हुए कहा कि ईडी के जो ज्वाइंट डायरेक्टर थे या जो आईओ थे, आईपीएस ऑफिसर, उन्होंने सोनिया और राहुल गांधी के बारे में तमाम आर्ग्यूमेंट्स देकर केस क्लोज कर दिया था। उसके बाद में क्या कारण रहे होंगे जिसके चलते केस को फिर से खोला गया है। टारगेट कर इस प्रकार की हरकत की गई है। जिस तरह से राजनीतिक द्वेष से कार्रवाई की जा रही है, उससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। देशभर में लोगों में आक्रोश है क्योंकि सब कानून का राज चाहते हैं। पूरे देश में आठ साल से यही तमाशा हो रहा है। ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई का तमाशा बर्दाश्त करते-करते लोग दुखी हो गए हैं।
गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद मोदी से कहना चाहूंगा कि ईडी के छापे बंद करवाएं। कल हमने ईडी, सीबीआई डायरेक्टर और सीबीडीटी और इनकम टैक्स चैयरमैन से मिलने का समय मांगा था, लेकिन समय नहीं दिया गया। इन एजेंसियों को चाहिए कि वे दबाव से मुक्त होकर काम करें। अगर इन्हें गलत काम के लिए कहा जाए, तो इनमें हिम्मत होनी चाहिए, मना करने के लिए। गहलोत ने बीजेपी, आरएएस और केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि आठ साल में देश में करप्शन तेजी से फैला है। इसकी तरफ ईडी का ध्यान नहीं जाता। इनके खुद के इतने लोग हैं, चाहे आरएसएस के हों या बीजेपी के हों, सबने लूट मचा रखी है। गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी से ईडी रात को 12 बजे तक पूछताछ करती है। ऐसा कौनसा गुनाह कर दिया या कौनसी अरबों-खरबों की मनी लॉन्ड्रिंग हो गई? जहां अरबों-खरबों की मनी लॉन्ड्रिंग होती है, वहां तो पूछते नहीं हैं।
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सीएम गहलोत ने कहा कि बेरोजगारी, महंगाई जैसे देश के वास्तविक मुद्दे छिपाने के लिए हिंदू-मुस्लिम किया जा रहा है। केन्द्र सरकार की ओर से विपक्ष को कुचलने का काम किया जा रहा है। नेशनल हेराल्ड केस एक झूठा केस है। उस अखबार को स्थापित करने के लिए कांग्रेस ने हमेशा मदद की। दुर्भाग्य की बात है कि टारगेट करके ईडी जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है। लोकतंत्र की हत्या हो रही है, लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है।
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