पंजाब राजनीति

सीएम अमरिंदर ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, किसान आंदोलन के समाधान की अपील की

Punjab Chief Minister Captain Amarinder Singh.

चंडीगढ़: खालिस्तानी जत्थेबंदियों की तरफ से कुछ किसान नेताओं को निशाना बनाने की योजना समेत आईएसआई की शह प्राप्त ग्रुपों द्वारा ड्रोन गतिविधियों और अन्य आतंकवादी सरगर्मियां बढ़ाने के सरहद पार के खतरों का हवाला देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने आंदोलनकारी किसानों के साथ तुरंत बातचीत शुरू करने और उनके मसले सुलझाने की अपील की है।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के साथ विचार-चर्चा करने के लिए पंजाब से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का प्रस्ताव रखा, जिससे लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन की समस्या का स्थायी और सुखद हल निकाला जा सके। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पंजाब के साथ लम्बी अंतरराष्ट्रीय सरहद लगने के कारण सरहद पार की ताकतें हमारे गौरव, सौहृदय और मेहनती किसानों के भड़के हुए जज़्बातों के साथ खेलने की कोशिश कर सकती हैं।

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भारत सरकार की तरफ से किसानों की चिंताएं हल किये जाने की जरूरत पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे स्थिति अभी काबू में है परन्तु उनको डर है कि कुछ राजनैतिक पार्टियों की भड़काऊ बयानबाजी, रवैया और भावनात्मक प्रतिक्रियाएं अमन-कानून की स्थिति की समस्या खड़ी कर सकती हैं और राज्य में बहुत संघर्ष करके हासिल की अमन शान्ति को नुकसान पहुंच सकती है।

मुख्यमंत्री ने यह पत्र कृषि कानूनों को लेकर पंजाब में बढ़ रहे गुस्से के मद्देनजर लिखा है। उन्होंने कहा कि वह इससे पहले जून और दिसंबर, 2020 में लिखे अर्ध -सरकारी पत्रों में इसकी समीक्षा करने के लिए कह चुके हैं। ताज़ा पत्र पंजाब में भारत-पाक सरहद के 5-6 किलोमीटर में पड़ते गांवों के साथ ड्रोन गतिविधियां बढ़ने और पाकिस्तान की तरफ से भारत को हथियारों और हेरोइन की खेंपे भेजे जाने के संदर्भ में लिखा है।

खुफिया रिपोर्टों में संकेत दिया गया है कि पंजाब में विधानसभा चुनाव कुछ महीनों बाद होने के कारण आईएसआई के नेतृत्व वाली खालिस्तानी और कश्मीरी आतंकवादी जत्थेबंदियां नजदीक भविष्य में राज्य में दहशती कार्यवाहियों की योजना बना रही हैं। अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली-हरियाणा सरहदों पर पिछले 7 महीनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं और राज्य में भी खेती कानून रद्द करने की मांग कर रहे हैं। अब तक उनका प्रदर्शन शांतमयी रहा है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि केंद्रीय मंत्रियों और किसान प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती कानूनों के साथ पैदा हुई बेचैनी के कारण राज्य का सामाजिक-आर्थिक ताना-बाना खतरे में पड़ने के अलावा लोगों के लोकतांत्रिक हकों के अनुसार चलती रोज़मर्रा की राजनैतिक सरगर्मियां भी आंदोलन के कारण बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। चाहे राज्य सरकार ने अमन -कानून की व्यवस्था कायम रखने लिए पूरी कोशिश की है।

किसानों के साथ जुड़े तत्काल ध्यान मांगते कुछ अन्य मुद्दों और चिंताओं का जिक्र करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने 28 सितम्बर, 2020 को प्रधानमंत्री को लिखे अपने अर्ध -सरकारी पत्र का भी हवाला दिया जिसमें उन्होंने फ़सल के अवशेष के निपटारे के लिए धान पर न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा 100 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजा देने की मांग की थी, क्योंकि किसानों के लिए बिना कुछ खर्च किए पराली को जलाना ही एकमात्र रास्ता है।

मुख्यमंत्री ने कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर पराली जलाने की रोकथाम और इससे क्षेत्र के लोगों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ने से रोके जाने का जिक्र किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था और गेहूं-धान की सरकारी खरीद जारी रखने के बारे में उनकी चिंताओं सम्बन्धी स्पष्ट तौर पर फिर भरोसे की ज़रूरत है। इसी तरह खादों खास कर 31 अक्टूबर, 2021 के बाद फॉसफेटिक खादों की कीमतों में वृद्धि के डर और आशंकाओं को दूर करने की ज़रूरत है। क्योंकि राज्य में गेहूं की बीजाई के लिए नवंबर और दिसंबर महीने के दौरान राज्य में डीएपी का लगभग 60 प्रतिशत उपभोग होता है।