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CID का दावा, बंगाल से बच्चों की तस्करी में सोशल मीडिया का हो रहा दुरुपयोग

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कोलकाताः पश्चिम बंगाल में बाल तस्करी का संगठित रैकेट सोशल मीडिया के जरिए चलाया जा रहा था, जहां तस्कर पहले निःसंतान दंपतियों से संपर्क करते थे और फिर फोन पर बातचीत करते थे। CID ​​ने सोमवार को मामले की जांच शुरू की। यह दावा रविवार को दो संदिग्ध तस्करों की गिरफ्तारी के बाद किया गया है।

बड़े पैमान पर किया जा रहा इस्तेमालः CID 

सीआईडी ​​के एक अधिकारी ने बताया कि तस्करी के इस नेटवर्क में सोशल मीडिया का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा था। उन्होंने कहा, “हमने इसके जरिए कुछ जानकारी जुटाई है, लेकिन पूरी जांच अभी बाकी है।” सीआईडी ​​के मुताबिक तस्कर सोशल मीडिया पर निःसंतान दंपतियों का पता लगाते थे और उनसे डील की प्रक्रिया शुरू करते थे। वहां से वे फोन नंबर हासिल कर उनसे संपर्क करते और डील फाइनल करते।

कैसे होती है पूरी प्रक्रिया

बताया जा रहा है कि लाखों रुपये में बच्चों का सौदा किया जाता था। रविवार को सीआईडी ​​ने शालीमार स्टेशन पर एक नाटक के तहत ‘फर्जी’ दंपति बनकर तस्करों से संपर्क किया। जैसे ही दोनों तस्कर एक नवजात बच्ची के साथ शालीमार स्टेशन पहुंचे, सीआईडी ​​ने तुरंत उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए दोनों तस्करों की पहचान माणिक हलदर और मुकुल सरकार के रूप में हुई है। इनके पास से दो दिन की नवजात बच्ची भी बरामद हुई है, जिसे ये लोग 4 लाख रुपये में बेचने की योजना बना रहे थे।

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जांच के मुताबिक बच्ची को गया से लाया गया था। फिलहाल उसे बाल कल्याण समिति के जरिए हावड़ा अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सीआईडी ​​के मुताबिक 38 वर्षीय माणिक और 32 वर्षीय मुकुल दोनों कोलकाता के ठाकुरपुकुर इलाके के रहने वाले हैं। दोनों पर पहले भी बाल तस्करी का आरोप लग चुका है। सीआईडी ​​अब इस बात की भी जांच कर रही है कि इस रैकेट में और कौन-कौन लोग शामिल हो सकते हैं।

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