खरगोनः मध्य प्रदेश सरकार अपने दो दशक के विकास कार्यों को खास पहचान दिलाने में लगी हुई है। विकास पर्व के तहत खरगोन जिले की लाल मिर्च को विशेष उत्पाद का दर्जा मिलने जा रहा है। प्रदेश के 46 विशिष्ट उद्यानिकी उत्पादों में जिले की तीखी मिर्च को भी शामिल किया गया है। इसके लिए मिशन मोड में काम चल रहा है। जियो टैगिंग की प्रक्रिया इसी वित्तीय वर्ष में पूरी होने की उम्मीद है। जिले में 2023 में प्रदेश में सर्वाधिक 46556 हेक्टेयर क्षेत्र में मिर्च की फसल बोई गई थी। जिले की मिर्च को जीआई टैग देकर ब्रांडिंग की जाएगी। यह जानकारी शनिवार को जनसंपर्क अधिकारी पुष्पेंद्र वास्कले ने दी।
उल्लेखनीय है कि देश की दूसरी और मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी बेड़िया मिर्च मंडी खरगोन जिले में स्थापित है। यहां मिर्च की फसल की ब्रांडिंग होने से गुणवत्ता और कारोबार की उम्मीदें बढ़ गई हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों में उद्यानिकी उत्पादों की स्थिति का सर्वेक्षण कराया गया। विशिष्ट पहचान रखने वाले 46 बागवानी उत्पादों को विशिष्ट पहचान देने की पहल शुरू की गई है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि आगामी सीजन में उद्यानिकी उत्पाद कब तैयार होंगे। फिर तय मापदंडों पर खरा उतरने पर निर्यात का मौका मिलेगा। इसमें अधिक से अधिक संख्या में किसान शामिल हों, इसके प्रयास किये जा रहे हैं।
इन बागवानी उत्पादों को पहचान मिलेगी
जनसंपर्क अधिकारी वास्कले ने बताया कि मध्य प्रदेश के विशेष उद्यानिकी उत्पाद के अंतर्गत 46 विशिष्ट उत्पादों को शामिल किया गया है, जिनमें जबलपुर की मटर, गुना का कुम्भराज धनिया, बुरहानपुर का केला, सिवनी का सीताफल, खरगोन की मिर्च, इंदौर का जीरावन, मालवी आलू आदि शामिल हैं। शासन स्तर से उत्पादों को भौगोलिक पहचान देने की तैयारी की जा रही है। सरकार का मानना है कि इससे विशेष पहचान मिलेगी।
उत्पाद की विश्व स्तर पर ब्रांडिंग की जाएगी
उन्होंने बताया कि जीआई टैग का अर्थ है “विशेष भौगोलिक पहचान”। जीआई टैग मिलने से फसल उत्पादों की ब्रांडिंग होगी। इससे उन्हें वैश्विक पहचान मिलेगी। बाहरी बिचौलियों का हस्तक्षेप खत्म होगा। किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा। राष्ट्रीय स्तर का बेड़िया मिर्च मंडी जिले में है। सरकार की इस पहल से यहां कारोबार बढ़ने की उम्मीद है। यह पहल राज्य के साथ जिले की समृद्धि को भी बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।
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जिले में विगत पांच वर्षों में मिर्च का क्षेत्रफल एवं उत्पादन
वर्ष – क्षेत्रफल – उत्पादन
2018-19 – 25369 – 63423
2019-20 – 23280 – 81480
2020-21 – 49052 – 171682
2021-22 – 51350 – 179725
2022-23 – 46556 – 139668
(उद्यान विभाग के आंकड़े, मीट्रिक टन में)
इसी वित्तीय वर्ष में काम हो जायेगा
उद्यानिकी विभाग के उप निदेशक केके गिरवाल ने बताया कि मिर्च का क्षेत्रफल, कृषि अनुसंधान केंद्र, उद्योगों के शोध पत्र सहित सभी इनपुट भेज दिए गए हैं। सरकारी सलाहकार रजनीकांत दस्तावेजीकरण कर रहे हैं। तीन माह में प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी। मिशन मोड में काम चल रहा है। मिर्च को संभवत: इसी वित्तीय वर्ष में जीआई टैग मिल जायेगा।
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