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कोरोना में जान गंवाने वालों के बच्चों के नाम होगी चल-अचल संपत्ति

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इंदौरः कोरोना महामारी ने बड़ी संख्या में बच्चों को अनाथ बनाने का काम किया है, वहीं इन अनाथ बच्चों की संपत्ति पर भी नजदीकी लोगों ने नजर गड़ा रखी है। मध्य प्रदेश में भी अनाथों की संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने के मामले सामने आने लगे हैं, यही कारण है कि इंदौर के जिला प्रशासन ने कोरोना के चलते जान गंवाने वालों के बच्चों के नाम चल-अचल संपत्ति हस्तांतरित करने का अभियान चलाने का फैसला लिया है। कोरेाना महामारी में बड़ी संख्या में लोगों ने जान गंवाई है। कई बच्चों के सिर पर से साया और बुजुर्गों से सहारे की लाठी छिन गई है। राज्य सरकार ने ऐसे लोगों को पांच-पांच हजार रुपये की राशि हर माह देने का फैसला लिया है। इस राशि का वितरण भी शुरू हो चुका है। वहीं इंदौर के जिला प्रशासन ने ऐसी कोशिशें शुरु की हैं, जिससे कोरोना महामारी में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चे अनाथ नहीं रहें। ऐसे बच्चों के हितों की रक्षा और उनके सुरक्षित भविष्य के लिये विशेष पहल की जा रही है। इसके तहत ऐसे बच्चों की नियमित देख-रेख एवं सतत संवाद के लिये हर बच्चे हेतु पालक एवं सहायक पालक अधिकारी नियुक्त किये गये हैं।

कोरोना से माता-पिता व अभिभावकों की मृत्यु के कारण अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा, खाद्यान सुरक्षा तथा आर्थिक सहायता के लिए मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना प्रदेश में लागू की गयी है। वहीं इंदौर में ऐसे बच्चों को और अधिक योजना का लाभ दिलाने, उनकी शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं उनके माता-पिता की संपत्ति उनके नाम हस्तांतरित कराये जाने एवं अन्य सहायता प्रदान करने हेतु पालक अधिकारी एवं सहायक पालक अधिकारी नियुक्त किए गये हैं। ये अधिकारी माह में एक बार एवं सहायक पालक अधिकारी 15 दिन में एक बार बालक अथवा बालिकाओं से मुलाकात कर उनका हाल जानेंगे। साथ ही यह ध्यान रखेंगे कि उन्हें किसी भी प्रकार की कोई समस्या न हो।

जिलाधिकारी मनीष सिंह ने सभी अधिकारियों से कहा है कि वे सौंपे गये दायित्वों का पूर्ण मानवीय संवेदना के साथ निर्वहन करें। साथ योजना अंतर्गत पात्र बच्चों के माता-पिता के नाम दर्ज चल-अचल संपत्ति वैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए बच्चों के नाम हस्तांतरित करने की प्रक्रिया को अंजाम दें।

अनाथ हुए बच्चों पालक एवं सहायक पालक अधिकारी बच्चों के संरक्षक एवं परिवार में जिम्मेदार व्यक्ति से भी निरन्तर सम्पर्क में रहेंगे। इसके साथ-साथ तीन माह में एक बार सभी बालक व बालिकाओं, उनके संरक्षकों एवं पालक अधिकारियों व सहायक पालक अधिकारियों की एक सामूहिक भेंट आयोजित की जाएगी।