छोटे कारोबारियों की कमर तोड़ रही ई-कामर्स कंपनियां

New Delhi, Nov 02 (ANI): Women buying bangles from a shop ahead of Karva Chauth at Lajpat Nagar Market, in New Delhi on Monday. (ANI Photo)

New Delhi, Nov 02 (ANI): Women buying bangles from a shop ahead of Karva Chauth at Lajpat Nagar Market, in New Delhi on Monday. (ANI Photo)

लखनऊः व्यापार में इतनी ज्यादा प्रतिस्पर्धा है कि इसमें एक ही जगह पर हजारों तरह के उत्पाद रखना हर किसी के लिए संभव नहीं है। इसके बाद भी तमाम बड़ी कंपनियां अपने लुभावने तरीकों से छोटे कारोबारियों को चोट पहुंचा रही हैं। यही नहीं अब तो ई-कामर्स ने इतनी रफ्तार पकड़ ली है कि लखनऊ के मध्यम और छोटे कारोबारियों को व्यापार में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

आॅनलाइन हो रहे इस कारोबार ने छोटे कारोबारी की कमर तोड़कर रख दी है।
देश के व्यापारियों ने कई बार ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का फैसला किया था। इस बार भी दीपावली के बाद से आंदोलन छेड़ने की संभावना बनी है। व्यापारी संघ का आरोप है कि ई-कॉमर्स कंपनियां देश में ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए मोनोपली करना चाहती हैं। वह जान-बूझकर कम दाम पर सामान बेचने के लिए तरह-तरह के लुभावने ऑफर लाती रहती हैं। कारोबारी मानते हैं कि रीटेल बाजार के व्यापारिक माहौल को खराब करने में ई-कामर्स की भूमिका हैं।

कानून का उल्लंघन मानते हैं कारोबारी

फुटकर और छोटे कारोबारी कहते हैं कि ये कंपनियां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कानून का उल्लघंन कर रही हैं। ये कंपनियां कोई व्यापार नहीं कर रही हैं, बल्कि अपने निजी इक्विटी या वेंचर कैपिटलिस्ट निवेशकों के इशारों पर एक वैल्यूएशन खेल में लिप्त हैं। इससे देश में व्यापार कर रहे 7 करोड़ व्यापारियों को बहुत नुकसान हो रहा है। उनके सामने रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है। वैसे तो कानूनन वेंडरों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर 25 प्रतिशत से ज्यादा प्रोडक्ट की बिक्री से रोका गया है। इसलिए इसमें भी छोटे प्रयासरत कारोबारियों को झटका लगना स्वाभाविक है, खासकर सीमित उत्पादों का कारोबार करने वालों को।

सप्लायर को विशेष सुविधा पर रोक

नया नियम किसी ई-कॉमर्स कंपनियों को उन सामानों की बिक्री अपने प्लेटफॉर्म से बेचने से रोकता है, जिनका उत्पादन वह खुद या उनकी कोई अनुषांगिक कंपनी करती हो। इतना ही नहीं, इसमें यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई वेंडर किसी पोर्टल पर ज्यादा-से-ज्यादा कितने सामान की बिक्री कर सकता है। नई नीति में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर किसी सप्लायर को विशेष सुविधा दिए जाने पर भी रोक लगाई गई है, लेकिन कंपनियां इसका पालन नहीं करती हैं। वह एक ही स्थान से डिमांड भर लेती हैं और सामग्री न होने के बाद भी किसी अन्य स्थान से सप्लाई कर देती हैं।

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जानें क्या है ई-कामर्स

इस समय ऑनलाइन बिजनेस बहुत अधिक लोकप्रिय है। इसके इतने लोकप्रिय होने के बावजूद भी वास्तव में बहुत सारे लोग अभी भी ऐसे हैं, जो नहीं जानते कि यह क्या है। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम यानी कि इंटरनेट पर डेटा आदान-प्रदान करने की एक प्रक्रिया है। यह नेटवर्क लोगों को दूरी और समय की बाधा के बिना व्यापार करने की अनुमति देता है। ई-काॅमर्स कंपनियां त्यौहारों पर लुभावने आॅफर निकालकर आपके घरों तक सामान पहुंचाती है।