Saturday, December 14, 2024
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Chhattisgarh News: आजादी के 78 साल बाद इस गांव के लोगों ने देखा TV, दूरदर्शन पर देखें प्रोग्राम

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सुदूर दक्षिणी छोर पर स्थित सुकमा जिले के घोर माओवाद प्रभावित और दुर्गम इलाके पूर्वी में विकास की नई किरण पहुंची है। आजादी के 78 साल बाद पहली बार इस गांव के लोगों ने दूरदर्शन पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खबरें, धारावाहिक और स्थानीय फिल्में देखीं। नियाद नेला नार गांव पूर्वी के बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग दूरदर्शन के कार्यक्रम देखने के लिए घंटों टीवी के सामने बैठे रहे।

Chhattisgarh News: बच्चों ने देखा कार्टून

इस पहल ने साबित कर दिया है कि विकास की गति माओवाद प्रभावित इलाकों में सकारात्मक बदलाव ला रही है। जिसके चलते पूर्वी, सिलगेर, टेकलगुड़ियम जैसे सुदूर गांवों में ऐसी योजनाएं विकास और शांति की नई इबारत लिख रही हैं। इस ऐतिहासिक अवसर पर गांव के बच्चों ने न सिर्फ ज्ञानवर्धक कार्यक्रम और कार्टून देखकर खुशी महसूस की, बल्कि उनके चेहरों पर सीखने और जिज्ञासा की झलक भी साफ देखी गई। यह पहल ग्रामीण विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने तथा जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुदूर गांवों तक पहुंचाने के उद्देश्य से नीयत नेलनार योजना संचालित की जा रही है।

Chhattisgarh News: सीएम विष्णुदेव साय की पहल लाई रंग

छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय (Vishnu Deo Sai) की पहल पर इस योजना का मुख्य उद्देश्य गांवों तक केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ पहुंचाना है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) विभाग द्वारा पूर्ववर्ती गांव में सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों का वितरण किया गया। परिवारों को सोलर लाइट व सोलर पंखे वितरित किए गए।

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इसके साथ ही पूर्ववर्ती, टेकलगुड़ियम व सिलगेर में क्रमशः दो दूरदर्शन सेट लगाए गए हैं। इस कदम से गांव में बिजली की किल्लत की समस्या दूर हो गई है तथा ग्रामीणों को अंधेरे से मुक्ति मिली है। ग्रामीणों ने बताया कि सोलर पंखे गर्मी के मौसम में राहत देंगे। पंखे पाकर लोग काफी खुश हैं। इस कदम से उनके जीवन में नई ऊर्जा व उम्मीद जगी है।

Chhattisgarh News: सुकमा जिले का आदिवासी बहुल क्षेत्र

गौरतलब है कि सुकमा जिले में आदिवासी वर्ग की बहुलता है, जो वनों और पर्यावरण की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। सौर ऊर्जा आधारित उपकरणों के वितरण से न केवल ग्रामीणों को बिजली पर निर्भरता से मुक्ति मिल रही है, बल्कि इससे पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है। अक्षय ऊर्जा के उपयोग से प्रदूषण में कमी आएगी और सतत विकास का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत होगा।

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