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Chhattisgarh: 105 घंटे बाद बोरवेल से निकाले गए राहुल से अस्पताल में मिलेंगे सीएम बघेल

नई दिल्लीः छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के पिरहिद गांव में बीते शुक्रवार की दोपहर अपने ही घर के बोरवेल में गिरे 11 साल के राहुल को 105 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सकुशल बाहर निकाला गया है। सीएम भूपेश बघेल आज राहुल से मिलने अस्पताल जाएंगे। बघेल फिलहाल दिल्ली में हैं। यहां से वह सीधे राहुल से मुलाकात करने शाम को अपोलो अस्पताल पहुंचेंगे और उनके परिजन से भी मुलाकात करेंगे।

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बता दें कि 10 जून को दोपहर लगभग 2 बजे अचानक घटी जब जिले के अंतर्गत मालखरौदा ब्लॉक के पिहरीद गांव में 11 साल का बालक राहुल साहू अपने घर के पास खुले हुए बोरवेल में गिर गया था। राहुल 65 फुट गहरे बोरवेल से निकाले जाने के बाद से ही डॉक्टरों की निगरानी में है। उसका इलाज किया जा रहा है। राहुल को अस्पताल ले जाने के लिए लगभग 100 किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया, एनडीआरएफ, सेना, स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों सहित 500 से अधिक कर्मी शुक्रवार शाम से चल रहे व्यापक बचाव अभियान में शामिल थे।

उल्लेखनीय है कि बीते चार दिनों में राहत और बचाव दल के सामने कई तरह की बाधाएं आई मगर मंगलवार-बुधवार की आधी रात को राहुल को बाहर निकालने में सफलता हासिल हुई। राहुल को बाहर निकाले जाने के बाद मौके पर मौजूद चिकित्सा दल द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य जांच की गई। ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अपोलो अस्पताल बिलासपुर भेजा गया। बहरहाल राहुल साहू के सकुशल बाहर निकाल लिए जाने से सभी ने राहत की सांस ली है।

हालांकि राहुल जो मानसिक तौर पर कुछ कमजोर भी है, उसके बोरवेल में गिरने के बाद प्रशासन और शासन के सामने कई तरह की चुनौतियां थी, मगर एक सुनियोजित रणनीति बनाई गई। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी पूरी नजर रखी। सबसे पहले जिला प्रशासन की टीम कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में तैनात हो गई। समय रहते ही ऑक्सीजन की व्यवस्था कर बच्चे तक पहुंचाई गई। कैमरा लगाकर बच्चे की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ उनके परिजनों के माध्यम से बोरवेल में फसे राहुल पर नजर रखने के लिए उनका मनोबल बढ़ाया जा रहा था। उसे जूस, केला और अन्य खाद्य सामग्रियां भी दी जा रही थी। विशेष कैमरे से पल-पल की निगरानी रखने के साथ ऑक्सीजन की सप्लाई भी की जा रही थी।

कुल मिलाकर 105 घंटे तक राहत और बचाव दल ने धैर्य से काम लिया, बच्चे तक पहुंचने के लिए समानांतर एक सुरंग बनाई गई, कई बार चट्टानें बाधा बनी मगर राहत और बचाव दल ने अपने कौषल का परिचय देते हुए हर चट्टान को काटा। आखिरकार बच्चे तक पहुंचने में कामयाबी मिली और अब बच्चा बिलासपुर के अस्पताल में इलाजरत है।

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