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Chhattisgarh: महिलाओं के बनाए हर्बल गुलाल की यूरोप में बढ़ी मांग

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में मवेशियों के लिए बनाए गए डे केयर होम गौठान में काम करने वाली महिलाओं द्वारा बनाए गए हर्बल गुलाल (herbal gulal) की मांग यूरोप में भी है। यहां से लगभग 42 लाख का हर्बल गुलाल (herbal gulal) यूरोप के लिए भेजा गया है। राज्य में मवेशियों के लिए बनाए गए गौठान से आत्मनिर्भरता की भी इबारत लिखी जा रही है। यहां महिलाओं के स्व-सहायता समूह काम कर रहे हैं। यहां काम करने वाली महिलाओं ने हर्बल गुलाल (herbal gulal) बनाया है। इन्हीं में से है हर्बल गुलाल स्व-सहायता समूह के सखी क्लस्टर संगठन अंजोरा राजनांदगांव एवं कुमकुम महिला ग्राम संगठन सांकरा दुर्ग है। यहां की महिलाओं ने श्री गणेशा ग्लोबल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड के मार्गदर्शन में हर्बल गुलाल (herbal gulal) बनाया है।

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यह गुलाल यूरोप एक्सपोर्ट किए जा रहा है, जिसकी कीमत 23 हजार 279 किलो हर्बल गुलाल लगभग 42 लाख रुपये है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हरी झंडी दिखाकर हर्बल गुलाल से भरे ट्रक को रायपुर से रवाना किया। ज्ञात हो कि राज्य में महिला समूहों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए गौठानों में कई प्रकार की आयमूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। गौठानों के सामुदायिक बाड़ियों में फूलों की खेती विशेषकर गेंदा फूल की खेती शुरू की गई है, ताकि इससे महिला समूहों को और अधिक आय हासिल हो सके।

बताया गया है कि फूल से हर्बल गुलाल के निर्माण के लिए इसी साल 18 फरवरी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में श्री गणेशा ग्लोबल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड और छत्तीसगढ़ शासन के उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी के संचालक के मध्य एमओयू हुआ था। इसके प्रथम चरण में 150 महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से हर्बल गुलाल एवं हर्बल पूजन सामग्री तैयार की जा रही है।

महिला समूहों द्वारा तैयार 23 हजार 279 किलो हर्बल गुलाल को श्री गणेशा ग्लोबल गुलाल प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से यूरोप एक्सपोर्ट किए जाने के लिए रायपुर से गुजरात स्थित मुंदरा पोर्ट भेजा जाएगा। एक्सपोर्ट हर्बल गुलाल की पैकेजिंग अलग-अलग आकार और वजन में की गई है। हर्बल गुलाल का कुल मूल्य 54 हजार 491 यू.एस. डॉलर यानी भारतीय रुपये में इसकी कीमत लगभग 42 लाख रुपये है। गौठान की महिला समूहों की मेहनत से बनाए जा रहे उत्पाद का विदेश में जाना यहां की महिलाओं और अन्य मेहनतकश लोगों को नई पहचान तो दिलाएगा ही, उन्हें प्रोत्साहित भी करेगा।

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