Home देश मोदी मंत्रिमंडल में कैसे साधे गए जातीय समीकरण, देखिए यूपी की रणनीति

मोदी मंत्रिमंडल में कैसे साधे गए जातीय समीकरण, देखिए यूपी की रणनीति

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लखनऊ: 18वीं लोकसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत मिलने के बाद रविवार को नई सरकार का गठन हो गया है। नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है। देश की संसद को सबसे ज्यादा 80 सांसद देने वाले यूपी से 10 सदस्यों को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है, जिसमें जातिगत संतुलन और समीकरणों को ध्यान में रखा गया है।

इस बार एनडीए की सीटें घटीं

2019 में बीजेपी ने 62 और अपना दल एस ने 2 सीटें जीती थीं। 16 सीटें एसपी-बीएसपी गठबंधन और कांग्रेस ने जीती थीं। 2024 के चुनाव में एनडीए को यूपी में 36 सीटें मिली हैं। बीजेपी ने 33, अपना दल एस ने 1 और राष्ट्रीय लोक दल ने 2 सीटें जीती हैं। जबकि इंडी गठबंधन ने 43 सीटें जीती हैं। अन्य ने एक सीट जीती है। सीटें कम होने के बावजूद पीएम मोदी समेत 11 मंत्रियों को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है।

जातिगत समीकरणों का रखा गया ध्यान

मोदी मंत्रिमंडल में उत्तर प्रदेश से 5 पिछडे़, दो दलित और तीन सामान वर्ग के नेताओं को जगह मिली। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी की वाराणसी सीट से चुनाव जीते हैं। वे लगातार तीसरी बार यहां से चुनाव जीते हैं। पीएम मोदी वैश्य समुदाय से आते हैं।

केंद्रीय मंत्रिपरिषद में सामान्य जाति के तीन नेताओं को मौका दिया गया है। मोदी के बाद शपथ लेने वाले राजनाथ सिंह और राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह क्षत्रिय समुदाय से आते हैं। जबकि एक अन्य राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ब्राह्मण समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं।

मोदी 3.0 सरकार में सहयोगी दलों से आरएलडी के जयंत चौधरी को शामिल किया गया है। जयंत चौधरी जाट समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। जयंत को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की जिम्मेदारी दी गई है। अपना दल (एस) प्रमुख अनुप्रिया पटेल को लगातार तीसरी बार मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया है। अनुप्रिया भी एनडीए का हिस्सा हैं और 2014 से तीसरी बार राज्य मंत्री बनने में सफल रही हैं। अनुप्रिया कुर्मी समुदाय से आती हैं। कुर्मी वोटरों पर उनकी अच्छी पकड़ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में मंडल के दो सांसदों पंकज चौधरी और कमलेश पासवान को राज्यमंत्री का पद देकर भाजपा ने बड़ा सियासी दांव खेला है।

भाजपा कोटे से मंत्रिमंडल में शामिल पंकज चौधरी कुर्मी समाज से आते हैं। मोदी सरकार 2.0 में पंकज राज्यमंत्री थे। लोकसभा चुनाव में भाजपा का कोर वोट बैंक कुर्मी और पासी (अनुसूचित जाति) समाज कई संसदीय सीटों पर बिखर गया और गठबंधन के साथ चला गया। इसका असर कई सीटों के नतीजों पर पड़ा। अब इन दोनों समाज के नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल कर बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश की गई है। इस बार लोकसभा चुनाव में वोट बैंक की राजनीति जोरों पर थी। अब चुनाव नतीजों के बाद भाजपा ने जातिगत समीकरणों को महत्व देते हुए मंत्रिमंडल में जगह दी है। चुनाव में पासी समाज भी कई सीटों पर भाजपा के साथ नहीं गया। जबकि यूपी की 10 से 12 सीटों पर पासी समाज की संख्या ज्यादा है। इसी रणनीति के तहत कमलेश पासवान को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।

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बांसगांव में कमलेश पासी समुदाय को साधने में हर बार सफल रहे हैं, यह समुदाय उन्हें अपना नेता मानता है। यूपी से भाजपा के राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा (लोध) इसी समुदाय से आते हैं। दलित समुदाय से आने वाले एसपी बघेल (धनगर) को भी सरकार में जगह दी गई है। राज्यसभा सांसद हरदीप पुरी सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। पिछली सरकार में भी वे कैबिनेट मंत्री थे। इस बार भी उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है।

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