नई दिल्ली: कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया (कैट) ने अमेजन पर 202 करोड़ रुपये के जुर्माने के फैसले को बरकरार रखने का स्वागत किया है। कारोबारी संगठन कैट ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि फ्यूचर-अमेजन मामले में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) द्वारा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के फैसले को बरकरार रखने का आदेश स्वागत योग्य कदम है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने एनसीएलएटी के आदेश को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इस आदेश ने ‘सत्य की हमेशा जीत’ को साबित कर दिया है, जो एक मजबूत संकेत है कि भारत न एक बनाना गणराज्य है और ना ही देश के कानून कमजोर हैं। उन्होंने कहा कि इस फैसले से यह साबित होता है कि भारतीय ई-कॉमर्स और रिटेल व्यापार को बंधक बनाने का किसी के कोई भी मंसूबे कभी पूरे नहीं होंगे और किसी भी विदेशी कंपनी को ईस्ट इंडिया कंपनी का दूसरा संस्करण नहीं बनने दिया जाएगा।
खंडेलवाल ने बताया कि एनसीएलएटी ने सीसीआई के 17 दिसंबर, 2021 को जारी एक आदेश के खिलाफ अमेजन-फ्यूचर कूपन मामले में कैट और अन्य के द्वारा दायर विभिन्न अपीलों पर यह फैसला सुनाया है। ट्रिब्यूनल ने माना कि सीसीआई के पूर्व में जारी आदेश में अमेजन ने जानबूझकर एक सोची समझी रणनीति के तहत जानकारी छुपाई। अमेजन ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) में अपने निवेश के लिए संयोजन की मंजूरी लेने के लिए गलत प्रतिनिधित्व, बयान और संबंधित सामग्री तथा जानकारी को छुपाया। सीसीआई ने अपने आदेश में अमेजन पर 201 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसके खिलाफ अमेजन ने यह अपील की थी, जिसे एनसीएलएटी ने बरकरार रखा है।
कैट महामंत्री ने बताया कि एनसीएलएटी ने माना है कि अमेजन ने वास्तव में संयोजन से संबंधित जानकारी को छुपाया है, जबकि सभी संबंधित विवरणों का खुलासा भी नहीं किया है। एनसीएलटी ने मामले की सुनवाई के बाद सीसीआई के आदेश को बरकरार रखते हुए 202 करोड़ रुपये के जुर्माने की पुष्टि की है। एनसीएलटी ने अपने फैसले में अमेजन को 45 दिनों के भीतर जुर्माने की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है। खंडेलवाल ने कहा कि भारतीय एफडीआई कानून इस प्रकार की प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथा को रोकने और उपभोक्ताओं और खुदरा व्यापारियों के कारोबार की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने और सुनिश्चित करने के लिए बने हैं।
खंडेलवाल ने कहा कि अमेजन ने सरेआम एफडीआई कानूनों का उल्लंघन किया है और फ्यूचर रिटेल के अप्रत्यक्ष अधिग्रहण के साथ अवैध रूप से मल्टी ब्रांड रिटेल ट्रेड क्षेत्र में प्रवेश किया है, जो गैर-कानूनी है। उन्होंने कहा कि एनसीएलटी का ये फैसला अमेजन सहित अन्य विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा भारतीय कानूनों एवं नियमों के खुले उल्लंघन को प्रमाणित करता है। उन्होंने कहा कि अमेजन के लगातार प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं और कानून के उल्लंघन के खिलाफ कैट पिछले कई साल से लगातार आवाज उठा रहा है, जिनमें लागत से कम मूल्य पर सामान बेचना, भारी डिस्काउंट देना, इन्वेंट्री का नियंत्रण अपने पास रखना जैसी गलत व्यापारिक प्रथाएं शामिल हैं। खंडेलवाल ने कहा कि मोर रिटेल लिमिटेड और फ्यूचर रिटेल लिमिटेड के अधिग्रहण के माध्यम से अमेजन ने यह कोशिश की है, जिसे रोकना बेहद जरूरी है। ऐसे में उम्मीद है कि केंद्र एवं राज्य सरकारें इस पर कठोर कदम उठाएंगी।