शाह आलम का हमला, बोले- सपा को वोट देने और उनकी गुलामी करने के लिए नहीं पैदा हुआ मुसलमान

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आजमगढ़ः लोकसभा उपचुनाव सम्पन्न होने के बाद समाजवादी पार्टी की तरफ से बसपा के खिलाफ लगाये जा रहे आरोप पर बसपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने चुन-चुन कर सपा मुखिया अखिलेश यादव पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि मुसलमान इसलिए नहीं पैदा हुआ कि उनको वोट दे, उनकी गुलामी करें। उन्होंने कहा कि उनके सम्मान को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पैरों तले रौंदा था जिसका जबाव यहां की जनता ने दिया। उन्होंने कहा कि वे कहते हैं कि भाजपा की बी टीम, डमी प्रत्याशी थे शाह आलम लेकिन उन्हें पता नहीं कि उसी डमी प्रत्याशी ने करीब 2.70 लाख वोट हासिल किया। रामपुर में बसपा नहीं लड़ी तो भी भाजपा को समर्थन दिया और जब आजमगढ़ में लड़ गयी तो भी समर्थन दे दिया। ये इनके दोहरे चरित्र को दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि सपा में जो मुसलमान नेता हैं, वे अपनी गैरत बेचकर रहते हैं। मैं गैरत बेचने से अच्छा मरना पसंद करूंगा। लोकसभा उप चुनाव सम्पन्न होने के बाद पहली बार नगर स्थित अपने आवास पर आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान बसपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली आजमगढ़ की जनता का आभार जताते हुए नवनिर्वाचित सांसद को धन्यवाद दिया और कहा कि वे यहां की जनता के सुख-दुःख व विकास के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी और उनके मुखिया अखिलेश यादव मुसलमानों को अपनी जागीर समझते हैं, लेकिन इस बार मुसलमानों ने इनकी औकात बता दी है। कहा कि देश की राष्ट्रीय पार्टी बहुजन समाज पार्टी को यह लोग बी टीम बताते हैं। इनको शर्म नहीं आती। जबकि इस पार्टी के प्रत्याशी को 2 लाख 70 हजार वोट मिले। उन्होंने कहा कि अगर इनको मुसलमान वोट दें तो अच्छा। न दें तो बुरा-भला कहते हैं।ये लोग हिन्दू-मुस्लिम और मुसलमानों को पूरे चुनाव में भ्रमित करते रहे। इनके पूरे देश के नेता मुस्लिम बस्तियों में प्रवास कर रहे थे लेकिन वे धर्मेन्द्र यादव को जिता नहीं सके।

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वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करते हुए शाह आलम ने कहा कि बसपा से मनमुटाव के चलते वे अपने घर पर बैठे थे लेकिन उनको लखनऊ बुलाया गया और उनकी पगड़ी को जूते तले रौंदा गया। जिसको आजमगढ़ का मुसलमान बर्दाश्त नहीं कर पाया। वर्ष 2024 में मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगे। जीत हासिल कर समाजवादी पार्टी के जो भी प्रत्याशी होंगे, उनको वापस लौटाने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि जो सैफई और इटावा से आकर आजमगढ़ में अपनी जागीर बनाए हैं, उनको सबक सिखाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ये हारने के बाद रोना रोते हैं,लेकिन कहीं कोई धांधली नहीं हुई। अब हार गए हैं तो ईवीएम और शाह आलम ने हरा दिया। शाह आलम ने कहा कि पहले अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनाव लड़ने वाली थी लेकिन मैं मजबूती के साथ खड़ा रहा। जिसके बाद उन्होंने डिंपल को बैक कर धर्मेन्द्र यादव को यहां हारने के लिए भेज दिया।

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