लखनऊः आम जनता को सहूलियत और सुविधाएं देने की जिम्मेदारी उठाने वाले पुलिस व प्रशासन में बैठे रिश्वतखोर दीमक की तरह पूरी व्यवस्था को खोखला करने में जुटे हुए हैं। आम आदमी को न्याय या सुविधा पाने के लिए मोटी रिश्वत (Bribe) देनी पड़ रही है, ऐसे में लोगों का विश्वास व्यवस्था से उठने लगा है। हालांकि, कुछ सजग नागरिकों के चलते आए दिन रिश्वतखोर रंगे हाथों पकड़ जा रहे हैं लेकिन सरकार को व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए कड़े और गंभीर कदम उठाने होंगे। पिछले दिनों पुलिस से लेकर लेखपाल व एसडीएम तक रिश्वत लेने के मामले में दबोचे गए।
Bribe Case-1 चौकी इंचार्ज पर एक लाख रिश्वत लेने का आरोप
राजधानी लखनऊ में एक बार फिर पुलिस पर रिश्वत लेने के गंभीर आरोप लगे हैं। मोहम्मद मुसाब नामक व्यक्ति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जनता दरबार में शिकायत करते हुए ट्रांसपोर्टनगर चौकी इंचार्ज अंकुर और एनके सिंह पर एक लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। मुसाब ने अपने शिकायत पत्र में आरोप लगाया है कि पुलिस वालों ने उनसे एक सादे कागज पर जबरन हस्ताक्षर करवाए और झूठा मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद उसी मुकदमे से उनका नाम निकालने के लिए एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और पुलिस आयुक्त को जांच के आदेश दिए हैं।
उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं। यह मामला सरोजनीनगर थाने का है, जहां एक बार फिर पुलिस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। दरअसल, मोहम्मद मुसाब ने शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि वैध रूप से खरीदी गई उनकी जमीन पर कुछ लोगों ने जबरन कब्जा करने की कोशिश की और पुलिस ने उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कर दिया। मुसाब ने बताया कि उन्होंने मार्च 2021 में सरोजनीनगर इलाके में एक प्लॉट खरीदा था। अक्टूबर 2021 में कुछ लोगों ने उनके प्लॉट पर कब्जा करने की कोशिश की। जब उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई तो पुलिस ने कब्जेदारों के बजाय उन पर ही कार्रवाई शुरू कर दी।
मुसाब ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनसे एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी और जब उन्होंने देने से इनकार किया तो उन्हें धमकाया गया और झूठे मुकदमे में फंसाया गया। यह मामला लखनऊ में जमीन हड़पने के बढ़ते मामलों और पुलिस द्वारा रिश्वत लेने के गंभीर आरोपों को उजागर करता है। इसी तरह के एक और हैरान कर देने वाले मामले में लखनऊ के बीबीडी थाने की पुलिस पर रिश्वतखोरी का गंभीर आरोप लगा है। पीड़ित अमित मोहन तिवारी ने मीडिया के सामने आकर पुलिस अधिकारियों पर 25,000 रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। तिवारी के अनुसार, पुलिस ने उन्हें फोन करके थाने बुलाया और फिर मुकदमा दर्ज करने की धमकी देकर उनसे 25,000 रुपये की रिश्वत ली।
उन्होंने आरोप लगाया कि इंस्पेक्टर आरके त्रिपाठी और विवेक यादव ने उनसे यह रकम वसूल की। यह मामला तब सामने आया, जब तिवारी ने मीडिया के सामने अपनी आपबीती बयां की। उन्होंने बताया कि उन्हें पुलिस ने कैसे परेशान किया और उनसे पैसे वसूले गए। लखनऊ पुलिस इस मामले की जांच कर रही है और आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
Bribe Case-2 रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया नगर निगम का लेखपाल
नगर निगम के विभूतिखंड जोनल कार्यालय में तैनात लेखपाल राजू सोनी एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया है। भ्रष्टाचार निवारण टीम ने यह कार्रवाई की। आरोपी लेखपाल ने प्लॉट की पैमाइश के बदले यह रकम मांगी थी। शिकायतकर्ता प्रतीक राय ने एंटी करप्शन टीम को बताया कि लेखपाल राजू सोनी ने उनके प्लॉट की पैमाइश के लिए तीन लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। बाद में बातचीत के बाद यह राशि एक लाख रुपये पर आ गई। शिकायत मिलने पर एंटी करप्शन टीम ने जाल बिछाया और लेखपाल को रंगे हाथों दबोच लिया। शिकायतकर्ता के पास लेखपाल द्वारा रिश्वत मांगने की वॉयस रिकॉर्डिंग भी थी, जिसे उसने एंटी करप्शन टीम को सौंपी।
इस रिकॉर्डिंग के आधार पर ही टीम ने कार्रवाई की। भ्रष्टाचार निवारण टीम ने आरोपी लेखपाल के खिलाफ विभूतिखंड थाने में मामला दर्ज कर लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है। नगर निगम आयुक्त ने भी लेखपाल को निलंबित कर दिया है और विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। यह मामला एक बार फिर लखनऊ में भ्रष्टाचार के बढ़ते प्रकरणों की ओर इशारा करता है। इससे पहले भी कई सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेते हुए पकड़े जा चुके हैं।
Bribe Case-3 रिश्वतखोरी के आरोप में एसडीएम सस्पेंड
सुलतानपुर जिले में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए शासन ने जयसिंहपुर के एसडीएम संतोष कुमार ओझा को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई एसडीएम के पेशकार को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद की गई है। बीते 02 दिसंबर को एंटी करप्शन टीम ने एसडीएम के पेशकार को दफ्तर परिसर में ही रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे और सप्ताह भर पहले ही उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एसडीएम को सस्पेंड करने के आदेश दिए थे।
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मिली जानकारी के मुताबिक, मोतिगरपुर के पारसपट्टी के रहने वाले मोहर्रम अली ने बीते 22 नवम्र को एसडीएम जयसिंहपुर को स्थगन आदेश के लिए एक पत्र दिया था। मोहर्रम ने आरोप लगाया था कि एसडीएम के पेशकार ने काम करवाने के लिए की रिश्वत की मांग की। इसके बाद ही एंटी करप्शन की टीम ने जाल बिछाकर पेशकार को गिरफ्तार लिया था। इसी मामले की रिपोर्ट पर शासन ने एसडीएम को सस्पेंड कर दिया।
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